148 देश, 11 हजार नामांकन और भारतीय छात्र ने मार ली बाजी, ग्लोबल स्टूडेंट पुरस्कार के फाइनलिस्ट में जगह बनाने वाले कौन हैं ये इंडियन?

‘चेग.ओआरजी ग्लोबल स्टूडेंट प्राइज 2025’ में भारत के एक छात्र टॉप 10 फाइनलिस्ट में जगह बनाने में कामयाब हुए हैं. उन्हें अपनी उद्यमशीलता की भावना के लिए 1,00,000 अमेरिकी डॉलर के ‘चेग.ओआरजी ग्लोबल स्टूडेंट प्राइज 2025’ के लिए चुना गया है. 148 देशों के 11 हजार लोगों ने नामांकन और आवेदन किया था, जिनमें से उन्होंने अपनी जगह बनाने में कामयाबी हासिल की है.

आदर्श कुमार राजस्थान के जयपुर स्थित जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल से हैं.  इस वार्षिक पुरस्कार के लिए चुने जाने वाले अकेले इंडियन स्टूडेंट हैं. यह पुरस्कार एक ऐसे असाधारण छात्र को दिया जाता है जिसने शिक्षा और समाज पर व्यापक रूप से वास्तविक प्रभाव डाला हो.

आदर्श कुमार ने कहा, ‘चेग में, हमारा मानना ​​है कि छात्र दुनिया के सबसे शक्तिशाली परिवर्तनकर्ताओं में से हैं. यह पुरस्कार इसी का जश्न मनाने के लिए है. छात्रों की आवाज को बुलंद करना, उनके विचारों को उजागर करना और हम सभी को यह याद दिलाना कि जब युवा दूरदर्शिता, साहस और दिल से नेतृत्व करते हैं तो क्या हो सकता है.’

आदर्श  कुमार ने कम उम्र में ही यूट्यूब और गूगल के जरिए कोडिंग और स्टार्टअप इकोसिस्टम की खोज की, जब उनकी मां ने उन्हें लैपटॉप दिलाने के लिए अपनी जिंदगी भर की जमा-पूंजी खर्च कर दी थी. उन्होंने आठवीं कक्षा में अपना पहला उद्यम शुरू किया, जो असफल रहा, लेकिन उनके दूसरे उद्यम, ‘मिशन बदलाव’ ने 1,300 परिवारों को कल्याणकारी योजनाओं-आयुष्मान भारत कार्ड, पेंशन, कोविड-19 टीके और स्कूल नामांकन तक पहुंचने में मदद की.

आदर्श कुमार का जन्म बिहार के चंपारण में हुआ. वह जेपीआईएस में 30 लाख रुपये की पूर्ण छात्रवृत्ति जीतने वाले पहले छात्र हैं और अब वह दूसरों के लिए भी उस सफलता को दोहराने में मदद कर रहे हैं. चेग के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नाथन शल्ज ने कहा, ‘आपका काम साहसिक, विचारशील और बेहद जजरूरी है. आप सिर्फ समस्याओं का समाधान ही नहीं कर रहे हैं, आप समुदायों को ऊपर उठा रहे हैं और दुनिया को दिखा रहे हैं कि जब जुनून और उद्देश्य मिलते हैं तो क्या संभव है.’

आदर्श 14 साल की उम्र में सिर्फ 1,000 रुपये लेकर आईआईटी-जेईई की कोचिंग की तलाश में कोटा चले गए. वह कोचिंग का खर्च वहन नहीं कर पा रहे थे, इसलिए उन्होंने लाइब्रेरी में मुफ्त वाई-फाई का इस्तेमाल मेंटर्स को ईमेल भेजने के लिए किया और आखिरकार प्रोग्राम्स में शामिल होने, स्टार्ट-अप्स में इंटर्नशिप करने और संस्थापकों के साथ काम करने में सक्षम हुए. अगर वह यह वैश्विक पुरस्कार जीतते हैं, तो ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक एआई-संचालित, कम बैंडविड्थ वाला मेंटरशिप प्लेटफ़ॉर्म शुरू करना चाहते हैं. इस साल टॉप 10 छात्रों में भारतीय मूल के 17 साल के कनाडाई छात्र कृषिव ठाकुरिया भी शामिल हैं, जिन्हें शैक्षिक परिणामों को बदलने के लिए आर्टिफिशियल  का उपयोग करने के लिए चुना गया है.

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