मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र सरकार में बवाल, फैसले के विरोध में उतरे मंत्री छगन भुजबल

Maharashtra Maratha reservation dispute: महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार कोको मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल की अधिकांश मांगों को स्वीकार कर लिया। पाटिल मराठों को आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए उन्हें ओबीसी कैटेगरी में शामिल करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे थे। सीएम देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार पात्र मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के लिए तैयार हो गई है। हालांकि, इस फैसले को लेकर अब सरकार में ही विरोध शुरू हो गया है। एनसीपी यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी कोटे से मंत्री छगन भुजबल ने मनोज जरांगे की मांगों को मानने पर आपत्ति जतायी है।

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मंत्री छगन भुजबल ने कहा है कि ऐसे फैसले की किसी को उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कैबिनेट बैठक का भी बहिष्कार करने का फैसला किया है। छगन भुजबल ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए मराठा आरक्षण को लेकर जारी किए गए जीआर पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हमारे ओबीसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सरकार द्वारा कल जारी किए गए जीआर पर गहरा संदेह है। इसलिए, हम इस पर विचार कर रहे हैं कि कौन हारा और कौन जीता। हम इस पर कानूनी सलाह ले रहे हैं, इस जीआर का सही अर्थ क्या है? क्योंकि किसी भी सरकार को किसी भी जाति को उठाकर दूसरी जाति में डालने का अधिकार नहीं है। जाति बदली नहीं जा सकती।”

भुजबल ने आगे कहा, “हम मराठा आरक्षण के जीआर के खिलाफ अदालत जाएँगे। कुछ लोगों का कहना है कि आपत्तियाँ आमंत्रित की जानी चाहिए थीं। यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि क्या उप-समिति को निर्णय लेने का अधिकार है। छगन भुजबल ने कहा, हमें राज्य सरकार से ऐसा निर्णय लेने की उम्मीद नहीं थी।” बता दें कि बता दें कि एनसीपी नेता भुजबल, ओबीसी कोटे में मराठों को आरक्षण दिए जाने का विरोध करते आए हैं।

ओबीसी नेता प्रकाश शेंडगे ने कहा, सभी ओबीसी नेता इसका पुरजोर विरोध करेंगे। हम कल के जीआर में सागेसोयारे के एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री रहते हुए जारी किए गए जीआर की पुनरावृत्ति देख रहे हैं। उन्होंने “सागेसोयारे” शब्द हटाकर “नाटेगोटे” शब्द जोड़ दिया है। उन्होंने ओबीसी समुदाय के साथ धोखा किया है। बबनराव तायवाड़े के जीआर में “सागेसोयारे” शब्द हटा दिया गया था। उस समय भी सरकार इसके पक्ष में थी। हालाँकि, ओबीसी समुदाय ने उस समय 8 लाख आपत्तियाँ दर्ज कराई थीं, जिसके कारण सरकार जीआर नहीं हटा पाई।

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