दिल्ली सहित हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भी बारिश का दौरा जारी है. भारी बारिश के बाद दिल्ली में यमुना उफान पर है. पानी से उफनती यमुना भी कई इलाकों में घरों को डुबो दिया है. दुकानों का सामान बर्बाद हो चुका है, यातायात ठप है, जिससे हजारों लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया.
नदी का जलस्तर 207 मीटर के पार पहुंच गया, जो 1963 के बाद पांचवीं बार है. बाढ़ का पानी निगमबोध घाट तक घुस गया, जिससे दिल्ली के सबसे पुराने और व्यस्ततम श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया रोकनी पड़ी.
दूसरी तरफ पंजाब में लगातार हो रही भारी बारिश से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं. बुधवार (3 सितंबर) को बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 37 हो गई, जबकि 23 जिलों में 1.75 लाख हेक्टेयर भूमि पर खड़ी फसलें पूरी तरह चौपट हो गईं. गांव जलमग्न हैं. मवेशियों के शव पानी के बहाव में बहते चले जा रहे हैं.
यह राज्य में 1988 के बाद की सबसे भयानक बाढ़ मानी जा रही है. राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी हैं, वहीं 1,655 गांवों में फंसे 3.55 लाख से अधिक लोगों की मदद के लिए विभिन्न संस्थानों से सहयोग पहुंच रहा है.
प्रभावित जिलों में अलर्ट और बंद हुए शैक्षणिक संस्थान
भारी बारिश के चलते प्रशासन ने रूपनगर और पटियाला जिलों में अलर्ट जारी किया है. लोगों को घरों में सुरक्षित रहने और सतर्क रहने की सलाह दी गई है। वहीं, हालात को देखते हुए राज्य के सभी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय 7 सितंबर तक बंद कर दिए गए हैं.
हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में जारी बारिश ने सतलुज, ब्यास और रावी नदियों के जलस्तर को और खतरनाक बना दिया है. इन नदियों और मौसमी नालों के उफान ने कस्बों और गांवों को डुबो दिया है, जिससे आम जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुका है.
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