Maratha Reservation Controversy: महाराष्ट्र सरकार की ओर से मराठा कार्यकताओं की ज्यादातर मांगों को स्वीकार करने के फैसले से अब अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) बेहद नाराज हैं। इसको लेकर ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके ने सड़क पर उतरने की धमकी दी है। हाके ने दावा किया कि सरकार को मराठों को ‘कुनबी’ जाति प्रमाण पत्र प्रदान करने की मांग स्वीकार करने का कोई अधिकार नहीं है। ओबीसी समुदाय इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरेगा।
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दरअसल, ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके मराठा आरक्षण की मांग का विरोध करते रहे हैं। वह पहले मराठों को ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण दिए जाने की मनोज जरांगे की मांग के खिलाफ आंदोलन कर चुके हैं। हाके ने कहा कि नेताओं को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण को कम करना चाहते हैं। उन्होंने दावा किया कि राजपत्र में यह नहीं लिखा है कि मराठा सामाजिक रूप से पिछड़े हैं और उन्हें आरक्षण दिया जाना चाहिए।
ओबीसी कार्यकर्ता ने सवाल किया, ‘कौन कहता है कि राजपत्र में दर्ज राजस्व रिकॉर्ड उन्हें आरक्षण के योग्य बनाते हैं? हैदराबाद राजपत्र में बंजारा को अनुसूचित जनजाति बताया गया है। क्या सरकार बंजारों को अनुसूचित जनजाति का आरक्षण देगी?’ उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘सरकार को एक मुद्दे को सुलझाने के लिए 10 और मुद्दे नहीं पैदा करने चाहिए। ओबीसी और वीजेएनटी (विमुक्त जाति और घुमंतू जनजातियां) अब सड़कों पर उतरेंगे।’
वहीं, एनसीपी कोटे से मंत्री और ओबीसी नेता छगन भुजबल ने मनोज जरांगे की मांगों को मानने के फैसले पर आपत्ति जतायी है। मंत्री छगन भुजबल ने कहा है कि ऐसे फैसले की किसी को उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कैबिनेट बैठक का भी बहिष्कार करने का फैसला किया है।
छगन भुजबल ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए मराठा आरक्षण को लेकर जारी किए गए जीआर पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हमारे ओबीसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सरकार द्वारा कल जारी किए गए जीआर पर गहरा संदेह है। इसलिए, हम इस पर विचार कर रहे हैं कि कौन हारा और कौन जीता। हम इस पर कानूनी सलाह ले रहे हैं, इस जीआर का सही अर्थ क्या है? क्योंकि किसी भी सरकार को किसी भी जाति को उठाकर दूसरी जाति में डालने का अधिकार नहीं है। जाति बदली नहीं जा सकती।”
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भुजबल ने आगे कहा, “हम मराठा आरक्षण के जीआर के खिलाफ अदालत जाएँगे। कुछ लोगों का कहना है कि आपत्तियाँ आमंत्रित की जानी चाहिए थीं। यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि क्या उप-समिति को निर्णय लेने का अधिकार है। छगन भुजबल ने कहा, हमें राज्य सरकार से ऐसा निर्णय लेने की उम्मीद नहीं थी।” बता दें कि बता दें कि एनसीपी नेता भुजबल, ओबीसी कोटे में मराठों को आरक्षण दिए जाने का विरोध करते आए हैं।
ओबीसी नेता प्रकाश शेंडगे ने कहा, सभी ओबीसी नेता इसका पुरजोर विरोध करेंगे। हम कल के जीआर में सागेसोयारे के एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री रहते हुए जारी किए गए जीआर की पुनरावृत्ति देख रहे हैं। उन्होंने “सागेसोयारे” शब्द हटाकर “नाटेगोटे” शब्द जोड़ दिया है। उन्होंने ओबीसी समुदाय के साथ धोखा किया है। बबनराव तायवाड़े के जीआर में “सागेसोयारे” शब्द हटा दिया गया था। उस समय भी सरकार इसके पक्ष में थी। हालाँकि, ओबीसी समुदाय ने उस समय 8 लाख आपत्तियाँ दर्ज कराई थीं, जिसके कारण सरकार जीआर नहीं हटा पाई।
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