Indus Towers shares: इंडस टॉवर्स के शेयर 5% टूटे, अफ्रीकी बाजार में उतरेगी कंपनी, ब्रोकरेज ने बढ़ाए टारगेट प्राइस – indus towers shares slip 5 percent on africa expansion but brokerages stay positive

Indus Towers shares: टेलीकॉम टावर कंपनी इंडस टावर्स के शेयरों में आज 3 सितंबर को तेज गिरावट देखी गई। कंपनी के शेयर शुरुआती कारोबार में 5 फीसदी तक टूटकर 312.55 रुपये के स्तर पर पहुंच गए। यह गिरावट ऐसे समय में आई जब कंपनी के बोर्ड ने इसे अफ्रीकी बाजारों में उतरने की मंजूरी दे दी है। यह कंपनी का पहला अंतरराष्ट्रीय विस्तार होगा।

कंपनी ने शेयर बाजारों को भेजे एक बयान में बताया कि उसे बोर्ड से अफ्रीकी बाजारों में प्रवेश करने की मंजूरी मिल गई है। वह नाइजीरिया, युगांडा और जाम्बिया से शुरुआत करेगी। इंडस टावर्स का मानना है कि इन बाजारों में रेवेन्यू डायवर्सिफिकेशन, कारोबारी विस्तार और लॉन्ग-टर्म वैल्यू क्रिएशन की बड़ी संभावनाएं हैं।

बयान में कहा गया है, “इंडस टावर्स अपनी मजबूत वित्तीय स्थिति और भारती एयरटेल के साथ लंबे समय से चले आ रहे साझेदारी का लाभ उठाकर इन क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धी उपस्थिति बनाएगी। इसके साथ ही कंपनी अपनी ग्रोथ रणनीति के तहत, दूसरे अफ्रीकी बाजारों में भी अवसर तलाशेगी, जहां एयरटेल पहले से मौजूद है।”

ब्रोकरेज हाउसों का नजरिया

शेयरों में गिरावट के बावजूद, अधिकतर ब्रोकरेज हाउस इंडस टावर्स पर बुलिश बने हुए हैं। सिटी (Citi) ने इंडस टावर्स के शेयर पर अपनी Buy की रेटिंग बरकरार रखी है और 460 रुपये का टारगेट प्राइस दिया है। ब्रोकरेज ने कहा कि भुगतान में देरी, वोडाफोन-आइडिया (Vi) की वित्तीय स्थिति और भारती एयरटेल के धीमे रोलआउट जैसी चिंताओं को कुछ ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर आंका जा रहा है।

ब्रोकरेज के मुताबिक, इंडस टावर्स के पास मध्यम अवधि में मजबूत ग्रोथ, अच्छा फ्री कैश फ्लो और घटता हुआ कैपेक्स है, जिससे शेयरधारकों को बेहतर रिटर्न मिल सकता है।

सीएलएसए (CLSA) ने भी इस शेयर को अपनी हाई-कॉन्विक्शन आउटपरफॉर्म की लिस्ट में शामिल किया है और इसके लिए 520 रुपये का टारगेट प्राइस किया है। हालांकि, CLSA ने चेतावनी दी है कि नाइजीरिया, युगांडा और जाम्बिया में फिलहाल 500 से कम टावर हैं, इसलिए निकट भविष्य में रेवेन्यू डायवर्सिफिकेशन सीमित रह सकता है।

सीएलएसए का कहना है कि कंपनी को अधिक डिविडेंड देकर कैपिटल स्ट्रक्चर सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। उसने डिविडेंड पेआउट में देरी को “अनुचित” बताया, जबकि बोर्ड ने पहले ही इन्हें बहाल करने का आश्वासन दिया था।

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