कैंसर से भी खतरनाक होती है यह बीमारी, बोन मैरो ही बन जाता है कब्रिस्तान

कैंसर का नाम सुनते ही डर लगने लगता है, लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं, जो कैंसर से भी ज्यादा जानलेवा साबित हो सकती हैं. ऐसी ही एक गंभीर बीमारी है अप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic Anemia). इस बीमारी में शरीर का बोन मैरो यानी अस्थि मज्जा धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है और खून बनाने वाली सारी सेल्स मरने लगती हैं. यही वजह है कि डॉक्टर इस स्थिति को “बोन मैरो का कब्रिस्तान” भी कहते हैं.

क्या होता है अप्लास्टिक एनीमिया?

अप्लास्टिक एनीमिया एक रेयर लेकिन गंभीर बीमारी है, जिसमें बोन मैरो रेड ब्लड सेल्स (RBC), व्हाइट ब्लड सेल्स (WBC) और प्लेटलेट्स बनाना बंद कर देता है. इसका मतलब शरीर में खून की मात्रा तेजी से गिरती है, इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और मरीज को बार-बार इन्फेक्शन, थकान और ब्लीडिंग होने लगती है.

इन लक्षणों को कभी न करें नजरअंदाज

  • जल्दी थक जाना और सांस फूलना
  • त्वचा पीली दिखना
  • बार-बार बुखार और इंफेक्शन होना
  • नाक या मसूड़ों से खून आना
  • शरीर पर नीले-नीले निशान पड़ना
  • दिल की धड़कन तेज हो जाना

ये लक्षण आम एनीमिया से मिलते-जुलते हो सकते हैं, लेकिन अगर ये लंबे समय तक बने रहें, तो तुरंत ब्लड टेस्ट और बोन मैरो टेस्ट कराना चाहिए.

 कारण क्या होते हैं?

  • ऑटोइम्यून डिसऑर्डर- शरीर की इम्यून सिस्टम खुद ही बोन मैरो पर हमला करने लगती है.
  • केमिकल या दवाओं का असर- कुछ एंटीबायोटिक या कैंसर की दवाएं भी यह बीमारी पैदा कर सकती हैं.
  • वायरल संक्रमण- हेपेटाइटिस, HIV या एपस्टीन-बार वायरस जैसी बीमारियां भी ट्रिगर कर सकती हैं.
  • जेनेटिक कारण-  कुछ बच्चों में यह बीमारी जन्म से हो सकती है.

 इलाज संभव है, लेकिन चुनौतीपूर्ण

अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज आसान नहीं होता, लेकिन सही समय पर डायग्नोस और इलाज से मरीज की जान बचाई जा सकती है. आमतौर पर इलाज में निम्नलिखित शामिल होते हैं-

  • इम्यूनोथैरेपी
  • ब्लड ट्रांसफ्यूजन

बोन मैरो ट्रांसप्लांट (severe केस में)

बचाव के उपाय

  • बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें
  • जहरीले केमिकल्स के संपर्क में न आएं
  • वायरल इंफेक्शन से बचें
  • हेल्थ चेकअप नियमित कराएं

क्या कहते हैं डॉक्टर?

पटपड़गंज स्थित ब्लड कैंसर उपचार संस्थान की ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर मीनू वालिया के अनुसार,  “अप्लास्टिक एनीमिया एक साइलेंट किलर की तरह होता है, जो शरीर के अंदर खामोशी से खून बनना बंद कर देता है. अगर समय रहते पहचान और इलाज न किया जाए, तो यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है. इसलिए इसके लक्षणों को हल्के में न लें और सही वक्त पर डॉक्टर से जांच जरूर कराएं.”

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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