स्पाइसजेट ने दिए सिर्फ बर्गर-फ्राइज, 14 घंटे तक परेशान रहा यात्री, उपभोक्ता आयोग ने ठोका जुर्माना

Spicejet News: महंगे फ्लाइट टिकट लेकर यात्री इस बात की उम्मीद करते हैं कि उन्हें उनकी डेस्टिनेशन तक सही समय तक पहुंचा दिया जाए, लेकिन कई बार मौसम या दूसरी परिस्थितियों में फ्लाइट्स में देरी हो जाती है। वहीं कई बार तकनीकी समस्या की वजह से फ्लाइट लेट हो जाती हैं। तब एयरलाइंस की जिम्मेदारी है कि यात्रियों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाए। उनके ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था की जाए, लेकिन एयरलाइंस इस जिम्मेदारी से बचती नजर आती हैं। अब उपभोक्ता आयोग ने इसी तरह के एक मामले पर बड़ा फैसला सुनाया है।

55 हजार रुपये देने का निर्देश

दरअसल, मुंबई में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक यात्री के हक में अपना फैसला सुनाया है। इस मामले में स्पाइसजेट को 55 हजार रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है। आयोग के सामने यात्री ने गुहार लगाई थी कि उसे 14 घंटे की देरी के दौरान सिर्फ बर्गर और फ्राइज दिया गया।

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ऐसा कहकर जिम्मेदारी से नहीं भाग सकतीं कंपनियां

आयोग का कहना है कि किसी तकनीकी खराबी के कारण हुई डिले की वजह से एयरलाइंस कंपनियां अपना बचाव नहीं कर सकतीं। एयरलाइंस किसी भी सूरत में फ्लाइट के तैयार होने और आगे की यात्रा के लिए शुरू होने तक अपने कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ सकतीं। उन्हें अपने यात्रियों की हर हाल में देखभाल करनी चाहिए। दरअसल, एयरलाइंस कंपनियां अक्सर ये कहकर अपना बचाव करती हैं कि रीशेड्यूल, कैंसलेशन और डिले एक सामान्य बात है, लेकिन ऐसा कहना ग्राहकों के अधिकारों के खिलाफ है।

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उचित व्यवस्था करना जरूरी

आयोग ने कहा कि ग्राहकों के लिए ऐसी स्थिति में खाना, पानी और ठहरने की उचित व्यवस्था करना जरूरी है। यात्रियों को इसकी हर जानकारी देना जरूरी है। आयोग के सामने ये तथ्य आया कि 14 घंटे तक यात्रियों को सिर्फ एक बर्गर और फ्राइज ही दिए गए। आयोग ने कहा कि एयरलाइंस ने सेवा में कमी की है। यात्री ने पिछले साल 27 जुलाई को दुबई से मुंबई के लिए फ्लाइट ली थी। जिसमें करीब 14 घंटे की देरी हुई। इस दौरान उन्हें बाकी यात्रियों के साथ परेशानी का सामना करना पड़ा। यात्री ने तर्क दिया कि नियमों का साफ उल्लंघन है।

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क्या है नियम?

शिकायतकर्ता के अनुसार, डीजीसीए के दिशानिर्देशों में साफ है कि एयरलाइंस को फ्लाइट डिले होने पर भोजन, पानी और ठहरने की व्यवस्था होनी चाहिए। हालांकि स्पाइसजेट ने तर्क दिया कि ऑपरेशनल और टेक्नीकल वजह से हुआ डिले एयरलाइंस के कंट्रोल से बाहर था। नियमों के मुताबिक, तकनीकी खराबी के मामलों को असाधारण परिस्थिति मानते हुए बाहर रखा गया है। दूसरी ओर, आयोग का तर्क था कि सेवा में कमी की है। आयोग ने शिकायतकर्ता के मानसिक पीड़ा, तनाव और असुविधा के लिए 4 लाख रुपये के मुआवजे के दावे को खारिज कर दिया, लेकिन 55 हजार का जुर्माना सही माना।

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