Rupee vs Dollar: शुक्रवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे कमजोर स्तर पर पहुंच गया. रुपया 88.31 प्रति डॉलर तक गिरा, जो अब तक का रिकॉर्ड स्तर है. इससे पहले 29 अगस्त को रुपया पहली बार 88 के नीचे बंद हुआ था. यह गिरावट 8 मई के बाद एक दिन में सबसे बड़ी रही. वहीं, 4 मई के बाद यह रुपया का सबसे कमजोर हफ्ता साबित हुआ.
लगातार चौथे महीने दबाव में रुपया
अगस्त महीने में रुपया 0.75% कमजोर हुआ. पिछले तीन महीनों में यह 3.2% लुढ़का है, जबकि एक साल की अवधि में इसमें 5.2% की गिरावट आई है. खास बात यह है कि रुपया लगातार चौथे महीने कमजोरी दिखा रहा है.
गिरावट के कारण: ट्रंप टैरिफ और FII सेलिंग
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रुपये की कमजोरी के पीछे कई अहम वजहें हैं. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत के उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा ने निवेशक सेंटिमेंट को झटका दिया. इसके साथ ही डॉलर की speculative demand ने भी प्रेशर बढ़ाया.
घरेलू बाजार पर FIIs की भारी बिकवाली का असर भी दिखा. बीते दो महीनों में विदेशी निवेशकों ने कैश मार्केट में करीब 95,000 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले. शेयर बाजार में कमजोरी ने रुपए को और नीचे धकेला. साथ ही, एशियाई करेंसीज़ में आई सुस्ती ने भी दबाव बढ़ाया.
क्या कहता है आगे का रोडमैप?
अब निवेशकों की नजर RBI के अगले कदम पर है. माना जा रहा है कि एक्सपोर्टर्स के लिए कमजोर रुपया पॉजिटिव हो सकता है. वहीं, भारत की मजबूत GDP ग्रोथ भविष्य में रुपये की गिरावट को कुछ हद तक रोक सकती है. इसके अलावा, भारत-चीन के बीच होने वाले SCO समिट और दोनों देशों के रिश्तों में सुधार भी बाजार सेंटीमेंट को सहारा दे सकते हैं. डॉलर इंडेक्स की चाल भी महत्वपूर्ण होगी, जो फिलहाल सुस्त दिख रहा है.
निवेशकों की राय: दिसंबर तक कहां जाएगा रुपया?
एक पोल में निवेशकों की राय बंटी हुई दिखी. 20% निवेशकों का मानना है कि दिसंबर तक रुपये में मजबूती आएगी और यह 85 के करीब पहुंच सकता है. वहीं, 40% का मानना है कि रुपया 89.2 से 89.8 के दायरे में रहेगा. जबकि 40% निवेशक मानते हैं कि रुपया 90 तक पहुंच सकता है.
कुल मिलाकर, रुपये की कमजोरी फिलहाल चिंता का कारण बनी हुई है. हालांकि, मजबूत घरेलू इकोनॉमी और RBI की पॉलिसी कार्रवाई आने वाले महीनों में हालात को कुछ हद तक संभाल सकती है.
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