पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुलाकात ने अमेरिका को सख्त संदेश दिया है। दोनों देशों ने साफ किया है कि आपसी रिश्ते में किसी तीसरे का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा। चीन यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इसमें पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच करीब 40 मिनट तक द्विपक्षीय मुलाकात हुई। मुलाकात के बाद दोनों विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया। बताया गया कि भारत और चीन प्रतिस्पर्धी नहीं हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन की नीति रणनीति ऑटोनॉमी है। रिश्तों को किसी तीसरे देश से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
आतंकवाद पर साथ आए दोनों नेता
पीएम मोदी और शी जिनपिंग दोनों नेता आतंकवाद पर साथ आए। दोनों ने आतंकवाद पर साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता बताई है। आतंकवाद पर चीन का रुख बदलने से सबसे बड़ा नुकसान पाकिस्तान को होगा। ऑपरनेश सिंदुर के बाद भारत ने सबसे बड़े पक्ष यानी चीन को आतंकवाद पर साथ लिया है।
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वैश्विक स्तर पर दोनों की इकोनॉमी की भूमिका
पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तियानजिन में द्विपक्षीय बैठक के दौरान विश्व व्यापार को स्थिर करने में भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को मान्यता दी। इसकी जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय ने दी। दोनों नेताओं की यह मान्यता अमेरिका को झटका देने का काम करेगी। अमेरिक ने चीन पर भी 30 प्रतिशत का टैरिफ लगाया था, बाद में इसे 90 दिनों के लिए रोक दिया क्योंकि दोनों देश एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। इससे पहले, वाशिंगटन और बीजिंग के बीच टैरिफ युद्ध छिड़ गया था, जो 245 प्रतिशत तक पहुंच गया था।
अगले साल भारत आएंगे शी जिनपिंग
भारत में अगले साल 2026 में BRICS Summit होना है। इसमें शामिल होने के लिए पीएम मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को निमंत्रण दिया है। शी ने उसे स्वीकार कर लिया है। पीएम मोदी ने एससीओ शिखर सम्मेलन में चीन की अध्यक्षता की तारीफ की।
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