
महाभारत काल में हनुमान जी ने भीम जैसे महाबलि का अंहकार चूर करने के लिए बूढ़े वानर का भेष धारण करके उनके रास्ते को अपनी पूंछ से रोक दी. भीम पूरे बाल के साथ भी हनुमान जी की पूंछ को हिला न सकें. इस घटना के बाद हनुमान जी ने भीम को विनम्र रहने का पाठ सिखाया था.

हनुमान जी केवल शारीरिक रूप से ही बलशाली नहीं थे, बल्कि उन्हें व्याकरण, शास्त्र और ध्वनि कला में भी महारत हासिल थी. प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक उन्होंने विशेष रागों की भी रचना की थी. यही वजह है कि राम नाम में इतनी ऊर्जा है.

हनुमान जी के पास अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां प्राप्त थी. कहने का मतलब हनुमान जी के पास ऐसी दैवीय शक्ति थी, जिसके कारण वो अपना शरीर छोटा, बहुता बड़ा, भारहीन कर सकते थे.

मान्यताओं के मुताबिक जहां कहीं भी राम नाम का पाठ या भजन होता है, हनुमान जी वहां खुद अदृश्य रूप में आते हैं. वे चुपचाप भजन सुनते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

मान्यताओं के मुताबिक जब श्रीराम का संसार से विदा होने का समय आया, तब यमराज खुद उन्हें लेने आए. लेकिन उस दौरान हनुमान जी अयोध्या के द्वार पर पहरा देते रहे और यम को भीतर आने से रोक दिया. अपनी शुद्ध भक्ति के कारण उन्होंने घोषण की कि, जब तक वे जीवित हैं, राम को कोई नहीं ले जा सकता है. इस प्रेम से अभिभूत होकर श्री राम ने हनुमान को अमरता का आशीर्वाद दिया.

जब पाताल लोक के मायावी राक्षस अहिरावण ने श्री राम और लक्ष्मण का अपहरण किया, तो हनुमान जी उन्हें बचाने के लिए पाताल लोग में गए. लेकिन अहिरावण की प्राणशक्तियां पांचों दिशाओं में जलते हुए पांच अलग-अलग दीपकों में थी. उन सभी को एक साथ बुझाने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया.

कहा जाता है कि जब पांडव वनवास में थे, हनुमान जी की भीम से भेंट हुई और उन्हें महायुद्ध की झलक दिखाई. हनुमान जी ने अर्जुन को यह भी वचन दिया के वे उनके रथ की ध्वजा पर बैठकर कुरुक्षेत्र के युद्ध में उनकी रक्षा करेंगे.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी ने एक बार शनिदेव को रावण की कैद से भी छुड़ाया था. तब शनि देव ने हनुमान जी वादा किया था, जो भी आपकी भक्ति करेगा उसे शनि दोष से छुटकारा मिलेगा.

क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी ने भी पत्थरों पर रामायण का अपना संस्करण उकेरा था. यह रामायण इतना दिव्य था कि श्री वाल्मीकि को भी अपना काम छोटा लगने लगा. उन्होंने हनुमान जी से विनती करते हुए कहा कि, आप अपनी रामायण को नष्ट कर दें.

कहा जाता है कि हनुमान जी ने सूर्य देव से अपना गुरु बनने का अनुरोध किया था. चूंकि सूर्य देव कभी भी गति नहीं छोड़ते, इसलिए हनुमान जी ने उनके साथ चलते हुए सीखने का वादा किया. इस अनुशासन का पालन करने के साथ उन्होंने कम समय में ही वेग, व्याकरण और ज्ञान की निपुणता हासिल कर ली. उनकी भक्ति से प्रभावित होकर सूर्य देव ने उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया.
Published at : 31 Aug 2025 03:29 PM (IST)
Tags :
Hanuman Ji Lord Hanuman
धर्म फोटो गैलरी
Read More at www.abplive.com