भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष रुकवाने में बार-बार अपनी भूमिका बता रहे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को तगड़ा झटका लगा है। डोनाल्ड ट्रंप इस संघर्ष को रुकवाने का श्रेय लेकर नोबेल पुस्कार लेना चाहते थे। लेकिन भारत ने ट्रंप को इसके लिए नॉमीनेट करने से मना कर दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, ट्रंप ने एक बार फिर गत 17 जून को पीएम मोदी से भारत पाकिस्तान के बीच संघर्ष रुकवाने में अपनी भूमिका बताई थी। इसलिए ट्रंप ने मोदी से नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट करने के लिए कहा था।
भारत ने क्यों नहीं किया नॉमिनेट
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप मोदी से जो सबसे अधिक चाहते हैं, वह राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक है। कहा कि अगर यह माना जाए कि पीएम मोदी एक कमजोर देश के साथ युद्धविराम के लिए अमेरिकी दबाव में झुक गए हैं, तो घरेलू स्तर पर इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। पीएम मोदी की मजबूत छवि काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि वे पाकिस्तान के प्रति कितने सख्त हैं। यह स्वीकार करना कि युद्धविराम में ट्रंप की भूमिका थी, उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित करना तो दूर की बात है, आत्मसमर्पण के समान माना जाएगा।
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पाकिस्तान कर चुका है नॉमिनेट
सीजफायर के तुरंत बाद ही पाकिस्तान के जनरल असीम मुनीर अमेरिका में डिनर करते हुए दिखाई दिए थे। इसके बाद भी असीम मुनीर ने अमेरिका का दौरा किया है। पाकिस्तान पर अमेरिकी कृपा की एक ही वजह है कि पाकिस्तान ने अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया है।
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17 जून को हुई आखिरी बातचीत
न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया है कि पीएम मोदी और ट्रंप के बीच 17 जून को बातचीत हुई थी। इसमें ट्रंप ने भारत-पाक संघर्ष की बात की। ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तान उन्हें नोबेल के लिए नॉमिनेट कर रहा है। ट्रंप चाहते थे कि भारत भी ऐसा करे। लेकिन पीएम मोदी भड़क गए। पीएम मोदी ने साफ किया था कि भारत पाकिस्तान के बीच संघर्ष में अमेरिका की कोई भागीदारी नहीं है। बताया गया कि पीएम मोदी और ट्रंप के बीच वह आखिरी बातचीत थी।
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