नई दिल्ली। भारत दुनिया भर के बड़े मंचों पर अपना प्रभाव और साख लगातार मजबूत कर रहा है। भारत ने जापान के साथ हाईटेक सहयोग कर रहा है। वहीं चीन में एससीओ शिखर सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी कर रहा है। इसके अलावा रूस के साथ सामरिक रिश्तों की गहराई को और मजबूत कर रहा है। इस असर सीधा पाकिस्तान पर हो रहा है। भारत की मजबूती देख पाकिस्तान की बोलती अचानक नरम हो गई है।
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भारत पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दबाव बनाने के पहले 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया। टैरिफ लगाने के बाद ट्रंप ने भारत को धमकी दी की रूसी तेल खरीदना बंद करे नहीं तो टैरिफ को बढ़ा दिया जाएगा। अमेरिका की इस धमकी के बाद भी भारत ने रूसी तेल खरीदना बंद नहीं किया और रूस से अपने रिश्तों को और मजबूती दी। इस पर ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ और लगाते हुए उसे 50 प्रतिशत कर दिया। इसके अमेरिकी सलाहाकार ने कहा की भारत अगर टैरिफ में छूट चाहता है तो रूस से तेल खरीदना बंद करे। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उन्हे तुरते टैरिफ में राहत दे देंगे। इसके बाद भी भारत अमेरिका के आगे नहीं झुका और रूस से तेल खरीदना जारी रखा है। भारत के इस मजबूत कदम को देखते हुए पाकिस्तान की बोलती बंद हो गई है। वहीं भारत अब जापान, चीन और रूस के साथ अपनी दोस्ती को और मजबूत कर रहा है। इस पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने एक नया रुख अपनाते हुए कहा है कि उनका देश भारत के साथ एक गरिमामय और सम्मानजनक संवाद के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि सभी लंबित मुद्दों, जिनमें कश्मीर भी शामिल है, पर चर्चा हो सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान भीख मांगकर बातचीत नहीं करेगा। इस बदले हुए सुर की वजह भी साफ नज़र आ रही है। हाल के हफ्तों में भारत की सैन्य कार्रवाई और कूटनीतिक ताकत ने पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बनाया है। खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद, जिसमें भारत ने पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घिरते देखा गया।
पाकिस्तान ने की बातचीत की पेशकश
इशाक डार ने दावा किया कि इस संघर्ष में पाकिस्तान की सैन्य क्षमता ने ज़मीन, आकाश और अब समुद्र में भी अपनी ताकत दिखा दी है। उन्होंने चेताया कि यदि भविष्य में भारत किसी प्रकार की आक्रामक कार्रवाई करता है, तो पाकिस्तान भी हर मोर्चे पर जवाब देने को तैयार है।
पीओके और आतंकवाद भारत का रुख स्पष्ट
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भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि पाकिस्तान से कोई भी बातचीत तभी संभव है जब वह आतंकवाद को पूरी तरह समाप्त करे और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर पीओके को भारत को लौटाए। इसके बिना भारत किसी नए अध्याय की शुरुआत के लिए तैयार नहीं है।
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