SEBI ने डिजिटल एक्सेसिबिलिटी कम्प्लायंस की डेडलाइन बढ़ाई, दिव्यांग निवेशकों को 2027 तक करना होगा इंतजार SEBI ने दिव्यांग निवेशकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स तक समान पहुंच दिलाने के लिए बने नियमों की डेडलाइन बढ़ा दी है. अब कम्प्लायंस रिपोर्ट 30 सितंबर 2025 तक और वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट 30 अप्रैल 2027 तक जमा करनी होगी. रिपोर्टिंग स्ट्रक्चर में भी बदलाव किया गया है ताकि प्रक्रिया और आसान हो सके.

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने निवेशकों को बराबरी का डिजिटल एक्सेस देने के लिए बनाए गए नियमों पर एक और बड़ा फैसला लिया है. अब सभी रेगुलेटेड एंटिटीज़ (REs) को डिजिटल एक्सेसिबिलिटी से जुड़े कम्प्लायंस पूरे करने के लिए पहले से ज्यादा समय मिलेगा. यह कदम उन निवेशकों के लिए अहम है जो दिव्यांगता के कारण पहले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाते थे.

SEBI ने क्या कहा?

SEBI ने शुक्रवार को कहा कि सभी रेगुलेटेड एंटिटीज़ (जैसे स्टॉक एक्सचेंज, डिपॉजिटरी, स्टॉक ब्रोकर, म्यूचुअल फंड, और KYC एजेंसियां) को अब डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की एक्सेसिबिलिटी से जुड़ी रिपोर्ट और ऑडिट समय पर पूरा करने के लिए नई डेडलाइन्स दी गई हैं.

दरअसल जुलाई 2025 में SEBI ने एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें सभी मार्केट एंटिटीज़ को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया था कि उनके डिजिटल प्लेटफॉर्म्स दिव्यांग निवेशकों के लिए पूरी तरह सुलभ हों.

Add Zee Business as a Preferred Source

Add Zee Business as a Preferred Source

यह आदेश Rights of Persons with Disabilities (RPwD) Act, 2016 और सुप्रीम कोर्ट के 30 अप्रैल 2025 के फैसले के आधार पर आया था. उस फैसले में कहा गया था कि डिजिटल एक्सेस अब हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और यह जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा है.

इसके बाद सेबी ने सभी रेगुलेटेड एंटिटीज़ को निर्देश दिया था कि वे अपने-अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स जैसे वेबसाइट, मोबाइल एप और अन्य ऑनलाइन सर्विसेज को दिव्यांग निवेशकों के लिए आसान और उपयोगी बनाएं.

नई डेडलाइन और मुख्य बदलाव

SEBI ने शुक्रवार को जारी नोटिफिकेशन में कहा कि बाजार सहभागियों की मांग को देखते हुए डेडलाइन बढ़ाई गई है. अब नई टाइमलाइन इस प्रकार है-

कम्प्लायंस और एक्शन रिपोर्ट जमा करने की डेडलाइन: अब 30 सितंबर 2025 तक (पहले 30 अगस्त थी).

एक्सेसिबिलिटी प्रोफेशनल (IAAP सर्टिफाइड) नियुक्त करने की डेडलाइन: अब 14 दिसंबर 2025 तक (पहले 14 सितंबर थी).

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का एक्सेसिबिलिटी ऑडिट: अब 30 अप्रैल 2026 तक (पहले 31 अक्टूबर 2025 थी).

ऑडिट की खामियों को सुधारने की डेडलाइन: अब 31 जुलाई 2026 तक.

वार्षिक एक्सेसिबिलिटी ऑडिट और अंतिम रिपोर्ट जमा करना: अब 30 अप्रैल 2027 तक (पहले 30 अप्रैल 2026 थी).

रिपोर्टिंग स्ट्रक्चर में बदलाव

SEBI ने केवल डेडलाइन ही नहीं बढ़ाई, बल्कि रिपोर्टिंग स्ट्रक्चर में भी बदलाव किया है ताकि प्रक्रिया और सरल हो सके.

इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स और रिसर्च एनालिस्ट्स: अब सीधे BSE को रिपोर्ट करेंगे. पहले उन्हें BASL और SEBI को रिपोर्ट करना होता था.

स्टॉक ब्रोकर और डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स: पहले की तरह अपने-अपने स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरी को रिपोर्ट करेंगे.

अन्य मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टिट्यूशन्स और रेगुलेटेड एंटिटीज़: सीधे SEBI को रिपोर्ट करेंगे.

यह बदलाव इसलिए किया गया है ताकि रिपोर्टिंग में पारदर्शिता रहे और रेगुलेटर के पास सही समय पर जानकारी पहुंच सके.

SEBI ने ऐसा क्यों किया?

बाजार सहभागियों यानी स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर और म्यूचुअल फंड हाउस ने SEBI से समय बढ़ाने की मांग की थी. उनका कहना था कि इतने कम समय में टेक्निकल बदलाव करना और बड़े स्तर पर ऑडिट कराना आसान नहीं है. SEBI ने उनकी मांग को समझते हुए कहा कि ज्यादा समय देना जरूरी है ताकि कम्प्लायंस सही ढंग से और पूरी तैयारी के साथ किया जा सके.

इसका असर क्या होगा?

नई डेडलाइन से स्टॉक ब्रोकर, डिपॉजिटरी, म्यूचुअल फंड हाउस और अन्य संस्थानों को दिव्यांग निवेशकों के लिए बेहतर और आसान डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाने का पर्याप्त समय मिलेगा.

यह कदम भारतीय वित्तीय बाजार में इन्क्लूसिविटी (Inclusivity) यानी सबको बराबरी का मौका देने की दिशा में अहम साबित होगा. इससे दिव्यांग निवेशकों को भी वही डिजिटल सुविधा मिलेगी जो अब तक सिर्फ सामान्य निवेशक उपयोग कर पाते थे.

SEBI के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि मजबूत होगी क्योंकि दुनियाभर में वित्तीय बाजारों में डिजिटल एक्सेसिबिलिटी को तेजी से महत्व दिया जा रहा है.

(ताजा खबरों के लिए आप हमारे WhatsApp Channel को सब्सक्राइब जरूर करें)

Read More at www.zeebiz.com