रुपए में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट, डॉलर के मुकाबले पहली बार 88 के पार Rupee and Dollar: टैरिफ युद्ध और वैश्विक उथल-पुथल के बीच डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. भारतीय रुपया 64 पैसा कमजोर होकर 88 रुपए के पार पहुंच गया है.

Rupee Dollar: टैरिफ वॉर और ग्लोबल चिंताओं के बीच डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 64 पैसे कमजोर होकर 88.27 रुपए प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गई है. वहीं, डॉलर इंडेक्स 0.1 फीसदी चढ़कर करीब 98 डॉलर के आसपास है. शुक्रवार के कारोबारी सत्र की शुरुआत में रुपया 18 पैसे टूटकर 87.76 रुपए प्रति डॉलर पर आ गया था. इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.73 पर खुला था. गुरुवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.58 पैसे पर बंद हुआ था.  

चीनी युआन के मुकाबले भी निचले स्तर पर

डॉलर के अलावा रुपया ऑफशोर चीनी युआन के मकाबले भी अभी तक के सबसे निचले स्तर पर है. भारतीय करेंसी 12.33 युआन पर ट्रेड कर रही है, जो इस महीने 1.6 फीसदी की गिरावट को दर्शाता है. इस साल अब तक रुपया डॉलर के मुकाबले तीन फीसदी तक कमजोर हुआ है. इससे यह एशिया के बाजार की भी सबसे कमजोर करेंसी बन गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड  ट्रंप द्वारा भारत के प्रोडक्ट्स पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने और विदेशी संस्थागत निवेशक की लगातार बिकवाली के कारण रुपए पर दबाव पड़ा है.  

स्पॉट फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में 3.66 अरब डॉलर की बिक्री 

केंद्रीय बैंक के मंथली बुलेटिन के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जून में स्पॉट फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में 3.66 अरब डॉलर की बिक्री की थी. रुपए के मूल्य में भारी गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई ने डॉलर बेचने का रास्ता अपनाया. केंद्रीय बैंक ने जून के दौरान 1.16 अरब डॉलर की खरीदारी और 4.83 अरब डॉलर की बिक्री की जानकारी दी. इससे पहले, बैंक ने मई में स्पॉट मार्केट से 1.76 अरब डॉलर की खरीदारी की थी. अमेरिकी टैरिफ को लेकर अनिश्चितता और विदेशी निवेशकों द्वारा भारत से पैसा निकालने के कारण घरेलू मुद्रा पर दबाव बना रहा.

सबसे कम अस्थिर मुद्राओं में से एक

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वित्त मंत्रालय की ‘मंथली इकोनॉमिक रिव्यू’ के अनुसार, टैरिफ एडजस्टमेंट और बढ़ती अनिश्चितता से प्रभावित वैश्विक व्यापार परिवेश के बीच भारत का एक्सटर्नल सेक्टर की मजबूती इसके स्थिर मैक्रोइकोनॉमिक परिवेश में एक प्रमुख योगदानकर्ता रहा है.बुलेटिन में कहा गया है कि मामूली मूल्यह्रास के बावजूद, जुलाई में प्रमुख उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) में रुपया सबसे कम अस्थिर मुद्राओं में से एक रहा. 

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