अगर हमे फैसला लेना होता तो क्या इसमें इतना समय लगता? BJP अध्यक्ष के चयन में संघ की भूमिका पर बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के मौके पर आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के तीसरे दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान बड़ा बयान दिया। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष के चयन पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, अगर हमे फैसला लेना होता तो क्या इसमें इतना समय लगता? उन्होंने कहा, मैं शाखा चलाने में माहिर हूं, भाजपा सरकार चलाने में माहिर है, हम एक-दूसरे को सिर्फ सुझाव दे सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम फैसला नहीं करते, अगर हमें फैसला करना होता तो क्या इसमें इतना समय लगता। उन्होंने स्पष्ट किया कि आरएसएस का भाजपा के आंतरिक मामलों से कोई लेन-देन नहीं है।

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भाजपा के साथ मतभेद को लेकर उन्होंने कहा कि कहीं कोई झगड़ा नहीं, लेकिन सभी मुद्दों पर एकमत होना संभव नहीं, हम हमेशा एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं। भागवत ने कहा कि सिर्फ मौजूदा सरकार के साथ ही नहीं, हमारा हर सरकार के साथ अच्छा समन्वय रहा है। यही नहीं उन्होंने कहा कि हम भाजपा के अलावा दूसरे लोगों का भी साथ देने के लिए तैयार हैं। मोहन भागवत ने कहा कि अगर किसी को अच्छे काम करने में हमारी मदद की ज़रूरत हो, तो हम सिर्फ़ भाजपा की ही नहीं, बल्कि सभी की मदद करते हैं।

इस दौरान उन्होंने 130वें संविधान संशोधन का भी समर्थन किया, जिसमें पीएम, सीएम या किसी मंत्री के गंभीर आरोपों में 30 दिन तक जेल में रहने पर पद छिनने का प्रावधान है। मोहन भागवत ने कहा कि अपराधियों को सरकार में शामिल होने से रोकने वाले नए विधेयक पर निर्णय के लिए संसद सही मंच है। मैं स्वच्छ और पारदर्शी नेतृत्व का पक्षधर हूं। उन्होंने समाज के लिए आरएसएस की भूमिका पर भी जिक्र किया। जब जेपी ने आरएसएस से कहा- आप लोगों से ही उम्मीद है

जनसंख्या के सवाल पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जनसंख्या से ज़्यादा, इरादा क्या है यह महत्वपूर्ण है। हमें जनसांख्यिकी के बारे में सोचने की जरूरत है क्योंकि जनसांख्यिकी में बदलाव का असर हम पर पड़ता है। यह सिर्फ जनसंख्या के बारे में नहीं है, यह इरादे के बारे में है। भारत की जनसंख्या नीति 2.1 बच्चों की बात करती है, यानी एक परिवार में तीन बच्चे। दुनिया में सब शास्त्र कहते हैं कि जन्म दर तीन से कम जिनका होता है वो धीरे धीरे लुप्त हो जाते हैं। डॉक्टर लोग मुझे बताते हैं कि विवाह में बहुत देर न करने और तीन संतान करने से माता-पिता और संतानों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। हर नागरिक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके परिवार में तीन बच्चे हों।

 

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