अगर स्टॉक मार्केट्स में गिरावट ने आपकी नींद उड़ा दी है तो आपको मधुसूदन केला की बातें ध्यान से सुनने की जरूरत है। केला मार्केट एक्सपर्ट हैं। उन्हें स्टॉक इनवेस्टमेंट का कई दशकों का अनुभव है। उन्होंने कहा है कि यह गिरावट अस्थायी है। इनवेस्टर्स को गिरावट के इस मौके का इस्तेमाल खरीदारी के लिए करना चाहिए। उन्होंने कहा कि निवेशकों को ऐसे स्टॉक्स खरीदने चाहिए जिनके कीमतों में ज्यादा गिरावट आई है। 28 अगस्त को लगातार तीसरे दिन मार्केट में बड़ी गिरावट आई।
ट्रंप के टैरिफ से मार्केट का सेंटिमेंट कमजोर हुआ है
इंडियन मार्केट्स का सेंटिमेंट पहले से कमजोर था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के 50 फीसदी टैरिफ ने सेंटिमेंट को और कमजोर कर दिया। 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ (25 percent additional tariff) 27 अक्टूबर से लागू हो गया है। इसका असर स्टॉक मार्केट्स पर दिख रहा है। सीएनबीसी आवाज से बातचीत में केला ने कहा कि अमेरिका और इंडिया के रिश्तें काफी पुराने हैं। कुछ मसलों पर मतभेद के चलते यह रिश्ता जल्द खराब होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि इंडिया और अमेरिका में आखिर में ट्रेड एग्रीमेंट हो जाएगा। यह सिर्फ थोड़े समय की बात है, इसके बाद यह अनिश्चितता खत्म हो जाएगी।
सरकार बड़े रिफॉर्म्स से स्थिति से निपटने को तैयार
उन्होंने कहा कि सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वह इस समय का इस्तेमाल बड़े रिफॉर्म्स के लिए कर रही है। नियमों को आसान बनाया जा रहा है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर फोकस बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले कई चुनौतियों का सामना किया है। उन्होंने निर्णायक तरीके से स्थितियों का संभाला है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि हमें ज्यादा चिंता करने की जरूरत है। उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा कि अमेरिका को होने वाला करीब 50 फीसदी एक्सपोर्ट 50 फीसदी टैरिफ के दायरे से बाहर है।
कई आइटम्स पर ज्यादा टैरिफ का असर नहीं पड़ेगा
केला ने कहा कि अमेरिका को एक्सपोर्ट होने वाले ज्यादातर जेनरिक दवाओं पर टैरिफ में वृद्धि का असर नहीं पड़ेगा। ट्रंप के टैरिफ से अगर कुछ असर पड़ेगा भी तो इंडिया की आबादी इतनी ज्यादा है और इकोनॉमी में डिमांड इतना स्ट्रॉन्ग है कि उससे ज्यादा नुकसान नहीं होगा। इस पूरे मसले को तिल का ताड़ बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक मार्केट को घरेलू निवेश का सपोर्ट मिल रहा है तब तक बाजार में ज्यादा कमजोरी आने की आशंका नहीं है। कुछ सेक्टर के सूचकांकों पर असर पड़ सकता है। लेकिन, निफ्टी 50 में ऐसा कोई स्टॉक नहीं है।
4-5 महीने बाद निवेशक निवेश के इस मौके को याद करेंगे
उन्होंने कहा कि 4-5 महीने बाद जब निवेशक पीछे मुड़कर देखेंगे तो उन्हें लगेगा कि यह शेयरों में निवेश का बड़ा मौका था। उन्होंने कहा कि बड़ी तेजी के बाद थोड़े समय की यह गिरावट चिंता की वजह नहीं होनी चाहिए। 28 अगस्त को भी मार्केट में बड़ी गिरावट आई। सेंसेक्स 700 अंक गिरकर 80,080 पर आ गया। सिर्फ दो सत्रों में सेंसेक्स 1500 अंक गिर गया है। निफ्टी का भी यही हाल है। इस गिरावट ने रिटेल इनवेस्टर्स को चिंता में डाल दिया है।
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