Mecca Medina Mysteries: मक्का और मदीना से जुड़े 10 बड़े रहस्य, जो आज भी विज्ञान और लोगों को हैरान करते हैं

Mecca Medina Mysteries: मक्का और मदीना इस्लाम की सबसे मुकद्दस और अहम जगहें मानी जाती हैं. पूरी दुनिया में हर साल लाखों-करोड़ों मुसलमान हज और उमरा की अदायगी के लिए इन मुकद्दस जगहों पर जाते हैं.

यह दोनों शहर न सिर्फ इबादतगाह हैं, बल्कि इन्हें ईमान का मरकज भी माना जाता है. यहां का हर कोना, हर निशानी और हर इमारत एक सुकून देने वाली फिजा का एहसास दिलाता है. इतिहास गवाह है कि मक्का और मदीना की सरजमीन ने इंसानियत और मजहब को राह दिखाने वाली बुनियादी तालिमात दुनिया को अता की.

इनकी मुकद्दस पहचान और पुरानी तारीख जितनी गहरी है, उतनी ही रहस्यमयी भी है. यहां कई ऐसे राज हैं, जिन्हें देखकर इंसान और साइंस सोच में पड़ जाता है. कहा जाता है कि इन रहस्यों को आज तक साइंस पूरी तरह नहीं समझ पाया और यही इन्हें और भी खास बना देता है. आइए जानते हैं मक्का और मदीना से जुड़े 10 बड़े रहस्य-

काबा की दिशा (किब्ला) का रहस्य
दुनिया भर के मुसलमान जब भी नमाज अदा करते हैं, तो उनका रुख मक्का में मौजूद काबा शरीफ की ओर होता है. इस दिशा को किब्ला कहा जाता है. हैरानी की बात यह है कि इंसान चाहे धरती के किसी भी कोने में मौजूद हो, काबा की ओर नमाज पढ़ने के लिए निकली गई दिशा हमेशा भूगोलिक रूप से बिल्कुल सही बैठती है.

यही वजह से कि किब्ला की यह खासियत आज भी साइंस और लोगों को सोचने पर मजबूर करती है.

जमजम का पानी
मक्का में मौजूद जमजम का कुआं दुनिया के सबसे रहस्यमयी कुओं में से एक माना जाता है. यह वही कुआं है जहां हजारों साल पहले हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की बीवी हजरत हाजरा, जब अपने बेटे हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम के लिए पानी तलाश कर रही थीं, तब अल्लाह के हुकुम से यह कुआं फूटा.

तब से लेकर आज तक इस कुएं का पानी कभी नहीं सुखा और न ही इसकी धार रुकी. इसकी सबसे खास बात यह है कि इसका पानी हमेशा साफ, मीठा और ताजा रहता है, और वैज्ञानिकों के मुताबिक इसमें बैक्टीरिया या फंगस पैदा ही नहीं होते. यही वजह है कि इसे न सिर्फ मुकद्दस माना जाता है बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद समझा जाता है.

काबा का काला पत्थर
काबा शरीफ के कोने में जुड़ा हुआ काला पत्थर, जिसे हजरे असवद कहा जाता है, इस्लाम में एक बेहद जरूरी और रहस्यमयी निशान माना जाता है. कहा जाता है कि यह पत्थर जन्नत से उतारा गया था और शुरू में इसका रंग सफेद था, लेकिन इंसानों के गुनाहों को सोखते-सोखते यह धीरे-धीरे कला पड़ गया.

मुमिन इसे चूमते हैं और मानते  कि इसके छूने से गुनाह माफ होते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक यह पत्थर शायद कोई मेटियोराइट हो सकता है, लेकिन इसकी असली उत्पत्ति आज भी रहस्य बनी हुई है. यही वजह है कि यह पत्थर ईमान और विज्ञान दोनों के नजरिए से बेहद खास माना जाता है.

मक्का मदीना में पक्षी ऊपर से नहीं उड़ते
कहा जाता है कि काबा शरीफ और मस्जिद-ए-नबवी के ऊपर से पक्षी कभी नहीं उड़ते. लोग इसे रहस्यमयी और चमत्कारी घटना मानते हैं. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां की वायुमंडलीय तरंगे और हवाओं की दिशा पक्षियों के मार्ग को प्रभावित करती हैं, लेकिन असली वजह आज भी रहस्य बना हुआ है.

मक्का में भूकंप नहीं आता
मक्का भूकंप के लिहाज से दुनिया के सबसे महफूज शहरों में से एक माना जाता है. भूवैज्ञानिकों के मुताबिक यह शहर पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें कायम हैं, इसलिए यहां जमीन हिलने या भूकंप आने की आशंका बेहद कम है.

मक्का और मदीना की पाकीजगी और हिफाजत
मक्का और मदीना दोनों को हरम कहा जाता है, जहां कत्ल हिंसा और पेड़ पौधों को नुकसान पहुंचाना सख्त मना है. यह माना जाता है कि ये इलाके अल्लाह की खास हिफाजत में हैं. यहां का माहौल सुकून देने वाला और अनोखा है, जो हर मेहमानों को इत्मीनान और महफूज रहने का एहसास कराता है.

मदीना की मिट्टी
कहा जाता है कि मदीना की मिट्टी ने कई बीमारियों को ठीक करने की ताकत होती है. वैज्ञानिकों ने इसका रिसर्च किया और पाया कि इस मिट्टी में एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद हैं. जो इन्फेक्शन और बीमारियों से बचाव करते हैं.

काबा का चुंबकीय रहस्य
काबा शरीफ को जमीन का एक खास केंद्र बिंदु माना जाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां की चुंबकीय तरंगें इतनी मजबूत हैं कि कंपास की सुई भी कायम रह जाती है.

मस्जिद-ए-नबवी का हरा गुम्बद
पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का रौजा मदीना में मौजूद है, और यहां का हरा गुम्बद दुनिया के सबसे मशहूर इस्लामी निशानों में से एक माना जाता है. कहा जाता है कि गुम्बद और उसके आसपास का माहौल बहुत शांत है, जो हर मेहमान को इत्मीनान और सुकून देता है.

मक्का में छाया नहीं पड़ती
साल में दो बार ऐसा होता है जब सूरज बिल्कुल काबा के ऊपर होता है. इस दौरान काबा की कोई भी छाया नहीं बनती. इस अनोखी घटना को ” किल्बा डे” कहा जाता है. यह दिन इस्लामी और वैज्ञानिकों दोनों की नजरिए से बेहद दिलचस्प मानी जाती है.

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