फेड चैयरमैन के बयान का असर, इतिहास में पहली बार MCX पर सोने का भाव ₹1 लाख के पार, चांदी में भी आई तूफानी तेजी अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेड रिजर्व के चैयरमेन जेरोम पॉवेल के भाषण के बाद वायदा बाजार MCX में सोने और चांदी की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी देखी गई है. सोने ने पहली बार एतिहासिक 1 लाख रुपए के स्तर को पार कर लिया है.

अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के एक भाषण के बाद शुक्रवार शाम सोने और चांदी की कीमतों में जोरदार उछाल देखने को मिला है. जैक्सन होल संगोष्ठी में दिए गए भाषण में ब्याज दरों में कटौती के संकेत मिलते ही वायदा बाजार में सोना और चांदी रॉकेट हो गए हैं. इस तेजी के बाद MCX पर सोने ने पहली बार 1 लाख रुपए के एतिहासिक स्तर को पार कर लिया है. दूसरी तरफ चांदी में भी 2000 रुपए की तूफानी तेजी देखी गई है. 16 और 17 सितंबर को फेड रिजर्व की होने वाली अगली बैठक में रेट कट पर विचार किया जाएगा.

चांदी की कीमत पर सबसे ज्यादा असर

जैक्सन होल में गोष्ठी में बोलते हुए फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने संकेत दिए हैं कि यदि महंगाई काबू रहती है तो निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती हो सकती है. पॉवेल के भाषण का सबसे ज्यादा असर चांदी की कीमतों पर देखा गया है.

2000 रुपए में आया चांदी का भाव

  • MCX पर चांदी का वायदा भाव में 2000 रुपए प्रति किलोग्राम से ज्यादा का उछाल आया है.
  • भाषण के बाद चांदी दिन के अपने निचले स्तर से लगभग 2500 रुपए तक संभल चुकी थी. ये बाजार में तेजी के संकेत हैं.
  • इस तूफानी तेजी के बाद अब चांदी अपने अब तक के रिकॉर्ड हाई से केवल 900 रुपए दूर रह गई है.

1000 रुपए प्रति 10 ग्राम का उछाल

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सोने की कीमत की बात करें तो फेड रिजर्व के चेयरमैन के भाषण के बाद ये 1000 रुपए प्रति 10 ग्राम के जोरदार उछाल के बाद 1,00000 रुपए के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर नया रिकॉर्ड बनाया है.

अमेरिकी बाजार में जोरदार तेजी

  • पॉवेल के भाषण के बाद और संभावित रेट कट के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में शानदार तेजी रिकॉर्ड की गई है.
  • नैसडैक में करीब 350 अंकों की तेजी आई है. S&P 500 में करीब 100 अंकों की तेजी आई है.
  • डाओ जोन्स भी लगभग 900 अंक चढ़ा है.

नौकरियों और महंगाई के आंकड़ों का मूल्यांकन

पॉवेल ने अपने भाषण में कहा था कि जोखिम का बदलता संतुलन हमारी पॉलिसी में बदलाव की जरूरत पैदा करता है. यह बयान नौकरियों के कमजोर आंकड़ों पर चिंता को दिखाता है. पॉवेल के मुताबिक, “बेरोजगारी दर और लेबर मार्केट के आंकड़ों में स्थिरता अपनी नीति में बदलावों पर विचार करते वक्त सावधानी से आगे बढ़ने की अनुमति देता है.” पॉवेल की इन बातों से यह संकेत मिलता है फेड रिजर्व ब्याज दरों में कटौती का फैसला करने से पहले नौकरियों और महंगाई के आंकड़ों का मूल्यांकन करना जारी रहेगा.

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