Krishna Chhathi Festival in Mahoba: महोबा में कृष्ण जन्माष्टमी के बाद आयोजित होने वाला पारंपरिक छठी उत्सव शहर में इस बार खासा आकर्षण का केंद्र रहा. राधा रानी समिति के तत्वावधान में रामकथा मार्ग स्थित गेस्ट हाउस में आयोजित इस भव्य धार्मिक कार्यक्रम में भक्ति, उल्लास और सांस्कृतिक विविधता का अद्भुत संगम देखने को मिला.
इस अवसर पर शहर की 351 महिलाएं मैया यशोदा का रूप धारण कर कान्हा के बाल स्वरूप का स्वागत करतीं नजर आईं. रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजी इन महिलाओं ने भगवान श्रीकृष्ण को अपने पुत्र की तरह स्नेह और वात्सल्य से झूला झुलाया और छप्पन भोग का प्रसाद अर्पित किया.
छोटे-छोटे बच्चों ने राधा-कृष्ण का वेश किया धारण
महिलाओं के उत्साह और श्रद्धा से पूरा वातावरण भक्ति-रस में डूब गया. उत्सव का शुभारंभ बाल गोपाल श्रीकृष्ण को बैंड-बाजों की धुन के साथ मंच तक लाकर किया गया. वहां सजी हुई झांकियों ने लोगों को कृष्ण की बाल लीलाओं का सजीव अनुभव कराया. मंच पर छोटे-छोटे बच्चों ने राधा और कृष्ण की वेशभूषा धारण कर नृत्य प्रस्तुत किया और भगवान की बाल लीलाओं का मंचन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
बच्चों की अद्भुत प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया. महिलाओं और बच्चों ने मिलकर भक्ति गीतों पर नृत्य किया तथा ढोल-नगाड़ों की ताल पर पूरे उत्सव को उल्लासमय बना दिया. मटकी फोड़ प्रतियोगिता और भक्ति गीतों की प्रस्तुति कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रही.
भक्ति में डूबे श्रद्धालु
इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालु भक्ति और आनंद के वातावरण में डूबे रहे. समिति की सदस्य रिचा गुप्ता और नीतू तिवारी ने बताया कि इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को सनातन धर्म की परंपराओं और संस्कृति से जोड़ना है.
उन्होंने कहा कि महिलाएं कान्हा को अपने लाडले गोपाल की तरह मानकर वात्सल्य और प्रेम प्रकट करती हैं. घरों में पूजन के बाद इस परंपरा को सामूहिक रूप से मनाने से आपसी भाईचारा और धार्मिक आस्था भी प्रबल होती है.
आयोजन में महिलाओं ने सामूहिक रूप से निभाई भागीदारी
इस आयोजन में महिलाओं ने सामूहिक रूप से भक्ति गीत गाए, नृत्य किया और विभिन्न खेल-प्रतियोगिताओं में भाग लेकर श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा व्यक्त की. इस दौरान बच्चे राधा-कृष्ण के रूप में आकर्षण का केंद्र बने, जिनके साथ महिलाओं और परिवारों ने खूब फोटो सेशन कर यादें संजोईं.
कार्यक्रम में धार्मिकता, भक्ति और उल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिला. पूरा वातावरण “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” और “राधे-राधे, जय श्रीकृष्ण” के जयकारों से गूंज उठा.
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