Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज के दिन पीरियड्स आ जाए तो व्रत करें या नहीं ? क्या है मान्यता

पूजा-पाठ में मन और तन की शुद्धता बहुत मायने रखती है. चूंकि हरतालिका तीज व्रत एक बार कर लिया तो वह टूट नहीं सकता लेकिन इस दौरान अगर पीरियड्स आ जाए तो महिलाएं पूजा नहीं कर पाती है लेकिन पूजन  किए बिना भी आपको इसका फल मिल सकता है जानें कैसे.

पूजा-पाठ में मन और तन की शुद्धता बहुत मायने रखती है. चूंकि हरतालिका तीज व्रत एक बार कर लिया तो वह टूट नहीं सकता लेकिन इस दौरान अगर पीरियड्स आ जाए तो महिलाएं पूजा नहीं कर पाती है लेकिन पूजन किए बिना भी आपको इसका फल मिल सकता है जानें कैसे.

पूजा-पाठ में मन और तन की शुद्धता बहुत मायने रखती है. चूंकि हरतालिका तीज व्रत एक बार कर लिया तो वह टूट नहीं सकता लेकिन इस दौरान अगर पीरियड्स आ जाए तो महिलाएं पूजा नहीं कर पाती है लेकिन पूजन  किए बिना भी आपको इसका फल मिल सकता है जानें कैसे.

पूजा-पाठ में मन और तन की शुद्धता बहुत मायने रखती है. चूंकि हरतालिका तीज व्रत एक बार कर लिया तो वह टूट नहीं सकता लेकिन इस दौरान अगर पीरियड्स आ जाए तो महिलाएं पूजा नहीं कर पाती है लेकिन पूजन किए बिना भी आपको इसका फल मिल सकता है जानें कैसे.

दूर से ही बैठकर हरतालिका तीज की व्रत की कथा सुनें. इस समय मानसिक पूजा सर्वोत्तम मानी जाती है. ध्यान, प्रार्थना, मंत्रजप या भगवान के नाम का स्मरण करके भी व्रत की भावना पूरी की जा सकती है.

दूर से ही बैठकर हरतालिका तीज की व्रत की कथा सुनें. इस समय मानसिक पूजा सर्वोत्तम मानी जाती है. ध्यान, प्रार्थना, मंत्रजप या भगवान के नाम का स्मरण करके भी व्रत की भावना पूरी की जा सकती है.

धार्मिक मान्यता है कि इस तरह पीरियड्स में भी हरतालिका तीज व्रत का फल प्राप्त किया जा सकता है. इस साल हरतालिका तीज 26 अगस्त 2025 को है.

धार्मिक मान्यता है कि इस तरह पीरियड्स में भी हरतालिका तीज व्रत का फल प्राप्त किया जा सकता है. इस साल हरतालिका तीज 26 अगस्त 2025 को है.

इस दिन कुछ स्त्रियां सुबह के समय पूजा करती हैं उनके लिए पूजा का मुहूर्त सुबह 05:56 से सुबह 08:31 तक रहेगा.

इस दिन कुछ स्त्रियां सुबह के समय पूजा करती हैं उनके लिए पूजा का मुहूर्त सुबह 05:56 से सुबह 08:31 तक रहेगा.

वहीं जो स्त्रियां प्रदोष काल से पूजा आरंभ करती है वह शाम 6 से पूजन शुरू कर सकती है. फिर रात्रि के चारों प्रहर में पूजन कर अगले दिन सुबह 6 बजे के बाद ही व्रत का पारण करें. image 6

वहीं जो स्त्रियां प्रदोष काल से पूजा आरंभ करती है वह शाम 6 से पूजन शुरू कर सकती है. फिर रात्रि के चारों प्रहर में पूजन कर अगले दिन सुबह 6 बजे के बाद ही व्रत का पारण करें. image 6

Published at : 22 Aug 2025 09:44 AM (IST)

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