रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ जंग खत्म करने की अपनी शर्ते जाहिर की हैं. उन्होंने मांग की है कि यूक्रेन पूर्वी डोनबास क्षेत्र को छोड़ दे, नाटो में शामिल होने की महत्वाकांक्षाओं को त्याग दे, तटस्थ रहे और पश्चिमी सैनिकों को देश से बाहर रखे. यह जानकारी क्रेमलिन से परिचित तीन सूत्रों ने रॉयटर्स को दी.
रूसी राष्ट्रपति ने शुक्रवार (15 अगस्त,2025) को अलास्का में डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की, जहां चार साल से भी ज्यादा समय बाद यह पहली रूस-अमेरिका शिखर वार्ता थी. सूत्रों के अनुसार, करीब तीन घंटे की बंद कमरे की बैठक में ज्यादातर समय यूक्रेन पर संभावित समझौते पर चर्चा चली. बैठक के बाद ट्रंप के साथ खड़े पुतिन ने कहा कि यह वार्ता यूक्रेन में शांति की राह खोल सकती है, लेकिन दोनों नेताओं ने बातचीत का ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया. तीनों सूत्रों ने संवेदनशील मुद्दा होने के कारण नाम न बताने की शर्त पर जानकारी दी.
जून 2024 की मांगों से ‘समायोजित’ रूसी प्रस्ताव
सूत्रों के अनुसार पुतिन ने जून 2024 की शर्तों डोनेत्स्क, लुहान्स्क (कुल मिलाकर डोनबास), खेरसॉन और ज़ापोरिझिया के पूरे त्याग की तुलना में रुख नरम किया है. नए प्रस्ताव में रूस चाहता है कि यूक्रेन डोनबास के शेष हिस्सों से पूरी तरह हटे, जबकि ज़ापोरिझिया और खेरसॉन में मौजूदा मोर्चा-रेखाएं वहीं ‘स्थिर’ कर दी जाएं. अमेरिकी आकलन और ओपन-सोर्स मानचित्रों के मुताबिक रूस डोनबास का लगभग 88% और ज़ापोरिझिया-खेरसॉन का 73% क्षेत्र नियंत्रित करता है. सूत्रों के मुताबिक, मॉस्को समझौते के हिस्से के रूप में खार्किव, सूमी और निप्रॉपेट्रोस (Dnipropetrovsk) के अपने कब्जे में आए छोटे हिस्से यूक्रेन को लौटाने को तैयार है.
नाटो, सेना पर पाबंदियां और पश्चिमी सैनिकों पर रोक
पुतिन की अन्य शर्तों में कोई बदलवा नहीं हुआ है. इन शर्तों में कहा गया हैं कि यूक्रेन नाटो में शामिल होने की इच्छा छोड़े, नाटो पूर्व की ओर और न बढ़ने की कानूनी गारंटी दे, यूक्रेनी सेना पर कुछ सीमाएं लगें और शांति-रक्षा के नाम पर भी पश्चिमी जमीनी सैनिक यूक्रेन में तैनात न हों.
कीव का रुख- “संप्रभु भूभाग से पीछे नहीं हटेंगे”
यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने प्रस्ताव पर तत्काल टिप्पणी नहीं की. राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की बार-बार साफ कर चुके हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यूक्रेनी भूमि से पीछे हटना संभव नहीं. उनके शब्दों में, “सिर्फ पूर्व से हटने की बात हो रही है तो हम यह नहीं कर सकते… यह हमारे देश के अस्तित्व का सवाल है, जिसमें सबसे मजबूत रक्षा-रेखाएं शामिल हैं.” नाटो में जाना उनके देश के संविधान में दर्ज रणनीतिक लक्ष्य है और जेलेंस्की कहते हैं- सदस्यता पर फैसला रूस नहीं करेगा.
व्हाइट हाउस और नाटो की चुप्पी
रूसी प्रस्तावों पर व्हाइट हाउस और नाटो की ओर से भी तत्काल प्रतिक्रिया नहीं आई. रैंड कॉरपोरेशन के रूस-यूरोशिया नीति चेयर सैमुअल चारैप के मुताबिक डोनबास से यूक्रेनी वापसी की शर्त कीव के लिए राजनीतिक और सामरिक, दोनों दृष्टि से गैर स्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि “ऐसी ‘शांति’ के लिए खुलापन, जो दूसरे पक्ष के लिए स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है, ट्रंप के लिए प्रदर्शन भी हो सकता है, असली इरादा जानने का तरीका कार्य-स्तरीय गहन बातचीत ही है.”
ट्रंप बोले- “पुतिन इसे खत्म होते देखना चाहते हैं”
अमेरिकी और ओपन-सोर्स अनुमानों के अनुसार रूस वर्तमान में यूक्रेन के लगभग पांचवे हिस्से पर कब्जा रखता है, जो अमेरिकी राज्य ओहायो के बराबर क्षेत्र है. तीनों सूत्रों का मानना है कि एंकोरेज शिखर बैठक ने युद्ध शुरू होने के बाद से शांति की सबसे अच्छी उम्मीद पैदा की है, क्योंकि शर्तों पर ठोस चर्चा हुई और पुतिन ने कुछ ‘देने’ की तत्परता दिखाई. एक सूत्र ने कहा, “पुतिन शांति-समझौते-को तैयार हैं; यही संदेश ट्रंप तक पहुंचाया गया.”
हालांकि, वे मानते हैं कि कीव डोनबास का शेष हिस्सा छोड़ेगा या नहीं-यह मॉस्को के लिए अनिश्चित है; न छोड़ा तो युद्ध जारी रहेगा. यह भी स्पष्ट नहीं कि अमेरिका रूसी-अधीन क्षेत्रों को किसी रूप में मान्यता देगा या नहीं. एक चौथे सूत्र ने जोड़ा कि भले पुतिन के लिए अर्थव्यवस्था गौण हो, वे रूस की आर्थिक नाजुकताओं और यूक्रेन में और गहराई तक जाने की क्षमता को समझते हैं.
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