मार्केट रेगुलेटर- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने मुंबई में एक बड़े फाइनेंशियल इन्फ्लुएंसर अवधूत साठे के खिलाफ बड़ा सर्च ऑपरेशन किया है। साठे का YouTube चैनल 9,36,000 सब्सक्राइबर तक पहुंच चुका है। जहां वे मार्केट एनालिसिस, चार्ट पैटर्न और निवेश रणनीतियों को साझा करते हैं। सेबी के फुल टाइम मेंबर कमलेश वार्ष्णेय ने गुरुवार को FICCI के एक कार्यक्रम में भी इसकी जानकारी साझा की। हलांकि, उन्होंने सीधे साठे का नाम नहीं लिया।
कौन हैं अवधूत साठे
अवधूत साठे एक जाने-माने मार्केट इंफ्लुएंसर और ट्रेडिंग गुरु हैं, जिनका फोकस रिटेल इन्वेस्टर्स को शेयर बाजार में निवेश और ट्रेडिंग की जानकारी देने पर रहा है। उनके सोशल मीडिया चैनल और Karjat Trading Academy के माध्यम से साठे ने खुद को एक विशेषज्ञ के रूप में पेश किया और लाखों यूजर्स को अपने ट्रेडिंग क्लास से जोड़ लिया।
हालांकि, हाल ही में Sebi ने उन्हें अपनी नजरों में रखा है, क्योंकि उनके कुछ प्रोग्राम्स और क्लासेस को लेकर शिकायतें मिली हैं कि वे पेनी स्टॉक्स को प्रमोट करने वाले ऑपरेटरों के साथ मिलकर रिटेल निवेशकों को गुमराह कर सकते हैं। इसी बारे में मुंबई के पास करजत में उनके ट्रेडिंग अकादमी पर दो दिन तक चले खोज और जब्ती अभियान ने साठे और उनके अकादमी के कामकाज पर Sebi की कड़ी निगरानी को उजागर किया।
वार्ष्णेय ने कहा कि आम तौर पर SEBI व्यक्तिगत मामलों पर टिप्पणी नहीं करता, लेकिन यह कार्रवाई बाजार अनुशासन को मजबूत करने के व्यापक अभियान का हिस्सा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जांच का मकसद रेवेन्यू कलेक्शन नहीं, बल्कि गलत काम करने वाले में डर पैदा करना और यह संदेश देना है कि रेगुलेटर पूरी तरह चौकस है।
फाइनेंशियल इन्फ्लुएंसर्स पर सख्त रुख
फाइनेंशियल इन्फ्लुएंसर्स पर बोलते हुए कमलेश वार्ष्णेय ने कहा कि असली एजुकेटर्स और निवेशकों को गुमराह करने वालों के बीच फर्क करना जरूरी है। उनके अनुसार, अगर कोई गारंटीड रिटर्न का दावा करता है, निवेश कॉल देता है या क्लासरूम में लाइव मार्केट डेटा का इस्तेमाल करता है तो बिना SEBI रजिस्ट्रेशन के यह मुमकिन नहीं है। हालांकि, केवल जानकारी देने वालों को इन्वेस्टर एजुकेशन के तहत प्रोत्साहित किया जाएगा।
नई पहलों पर काम
SEBI प्री-IPO शेयरों के ग्रे मार्केट ट्रेड्स को रेगुलेट करने के लिए एक ढांचा तैयार करने पर काम कर रहा है। कमलेश वार्ष्णेयके अनुसार, इससे प्राइस डिस्कवरी और टैक्स अनुपालन में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट की अवधि में संभावित बदलाव पर चर्चा सलाह-मशविरे वाली प्रक्रिया के जरिए होगी।
हेरफेर रोकने के लिए खास तैयारी
सेबी जटिल बाजार हेरफेर जैसे गामा ट्रेड्स और हाई-फ्रीक्वेंसी रणनीतियों का विश्लेषण करने के लिए एडवांस्ड एक्सपर्टाइज विकसित कर रहा है। इसके लिए PhD स्कॉलर की नियुक्ति भी की जा रही है।
वार्ष्णेय ने Jane Street जैसे मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि इस तरह की जांचें बेहद विस्तार से और समय लेने वाली होती हैं क्योंकि नतीजों को अदालत में जांच की कसौटी पर खरा उतरना होता है।
Read More at hindi.moneycontrol.com