Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का पर्व अश्विनी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार 9 की बजाय 10 दिन की शारदीय नवरात्रि होगी.
नवरात्रि की एक तिथि में वृद्धि होने के कारण शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक होगी. सबसे खास बात यह है कि इस बार तृतीया तिथि की वृद्धि हुई है, जो 24 और 25 सितंबर को रहेगी. इस कारण शारदीय नवरात्रि का समापन 2 अक्टूबर को होगा और इसी दिन दशहरा भी मनाया जाएगा.
वर्ष 2024 में भी 10 दिन की शारदीय नवरात्रि हुई थी. तृतीया तिथि की वृद्धि के कारण 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर 2024 तक शारदीय नवरात्रि को मनाया गया था.
ज्योतिषाचार्य से जानें घटस्थापना का समय
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 21 सितंबर की अर्ध रात्रि 1.24 बजे से लगेगी, जो कि दूसरे दिन 22 सितंबर की ब्रह्मवेला में प्रतिपदा तिथि तक रहेगी.
अत: इस दिन ही शारदीय नवरात्रि पर्व की शुरूआत होगी और सुबह 11.55 बजे के बाद से ही हस्त नक्षत्र रहेगा, जो कि नवरात्रि में घटस्थापना के लिए कल्याणकारी माना जाता है. इसी के साथ पूरे दिन शुक्ल योग भी रहेगा, जो जनमानस के लिए उत्तम माना गया है.
मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा नवरात्रि में
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसकी शुरुआत आश्विन माह में होती हैं. इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती हैं, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री माता का नाम शामिल है.
इस अवधि में व्रत रखने का भी विधान है, जिससे देवी की कृपा प्राप्त होती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि का उपवास रखने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है. साथ ही मनोवांछित फलों का योग भी बनता है.
शारदीय नवरात्रि
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 22 सितंबर को रात 01 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी. वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 23 सितंबर को रात 02 बजकर 55 मिनट पर होगा. ऐसे में 22 सितंबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाएंगे.
गज पर आना सुख-समृद्धि का प्रतीक
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि शारदीय नवरात्र इस बार सोमवार से शुरू हो रहे हैं. इसलिए मां का वाहन हाथी रहेगा. यह वाहन शुभ माना जाता है. मान्यता है कि हाथी पर मां का आगमन लोगों के लिए सुख-शांति और अच्छे समय आने का संकेत देता है.
हाथी पर माता का आगमन इस बात की ओर भी संकेत कर रहा है कि इस साल खूब अच्छी वर्षा होगी जिससे खेती अच्छी होगी और देश में अन्न धन का भंडार बढ़ेगा.
आत्मशुद्धि और साधना का यह श्रेष्ठ समय
नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा स्वयं धरती पर आती हैं और अपने भक्तों की प्रार्थनाएं सुनती हैं. यह समय आत्मशुद्धि, साधना और देवी कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर माना जाता है.
नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त
- अमृत मुहूर्त : सुबह 6.19 से 7.49 बजे तक
- शुभ मुहूर्त : सुबह 9.14 से 10.49 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11.55 से 12.43 बजे तक रहेगा
शारदीय नवरात्रि तिथि
- 22 सितंबर, सोमवार : प्रतिपदा तिथि
- 23 सितंबर, मंगलवार : द्वितीय तिथि
- 24 सितंबर, बुधवार : तृतीया तिथि
- 25 सितंबर, गुरुवार : तृतीया तिथि
- 26 सितंबर, शुक्रवार : चतुर्थी तिथि
- 27 सितंबर, शनिवार : पंचमी तिथि
- 28 सितंबर, रविवार : षष्ठी तिथि
- 29 सितंबर, सोमवार : सप्तमी तिथि
- 30 सितंबर, मंगलवार : अष्टमी तिथि
- 01 अक्टूबर, बुधवार : नवमी तिथि
- 02 अक्टूबर, गुरुवार : दशहरा
शारदीय नवरात्रि महत्व
धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि मां भगवती दुर्गा की आराधना करने का श्रेष्ठ समय होता है. इन नौ दिनों के दौरान मां के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है. नवरात्रि का हर दिन मां के विशिष्ट स्वरूप को समर्पित होता है, और हर स्वरूप की अलग महिमा होती है.
आदिशक्ति जगदम्बा के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं. यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व होता है.
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