लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने भ्रष्टाचार से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को पेश किया. जैसे ही यह विधेयक पेश हुआ, विपक्षी दलों ने ज़ोरदार नारेबाजी शुरू कर दी. विपक्ष का कहना था कि सरकार संविधान से खिलवाड़ कर रही है. नारों के बीच संविधान को मत तोड़ो जैसी आवाजे गूंजती रहीं. हंगामे के बीच अमित शाह ने विपक्ष पर पलटवार किया. उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर भी झूठे आरोप लगे थे. मैंने खुद इस्तीफा दिया था. जब तक अदालत ने मुझे बरी नहीं किया, मैंने कोई पद नहीं संभाला. इस बीच अमित शाह के बोलने के बाद विपक्षी सांसदों ने पेपर फाड़ कर अमित शाह की तरफ फेंक दिया.
गृहमंत्री ने यह भी दोहराया कि कानून सबके लिए समान है और अगर यह बिल पास होता है तो मंत्री स्तर पर जवाबदेही और कड़ी हो जाएगी. उनके इस बयान से सदन में माहौल और गरम हो गया.
केसी वेणुगोपाल ने उठाए सवाल
गृह मंत्री के बिल का ओवैसी और कांग्रेस से मनीष तिवारी ने विरोध किया. इस पर मनीष तिवारी ने कहा कि इसके राजनीतिक दुरुपयोग का डर है.इन तीनों विधेयकों का पुरजोर विरोध करता हूं. गृह मंत्री अमित की तरफ से पेश किए बिल को लेकर रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने भी विरोध किया. साथ ही समाजवादी पार्टी ने भी बिल का विरोध किया.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य केसी वेणुगोपाल ने भी बिल का विरोध किया है. इस दौरान केसी वेणुगोपाल ने अमित शाह के गुजरात मे मंत्री रहते गिरफ्तारी की बात उठाई, जिस पर अमित शाह ने कहा कि मैंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था, मैं निर्दोष साबित हुआ. इस पर धर्मेंद्र यादव ने अमित शाह को कहा कि आप नैतिकता की बात कर रहे हैं.
संविधान संशोधन विधेयक बिल का मकसद
संविधान संशोधन विधेयक बिल का मुख्य उद्देश्य है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री किसी आपराधिक मामले में फंसता है तो उसे 30 दिनों के भीतर पद छोड़ना होगा. यह प्रावधान राजनीतिक नैतिकता और प्रशासनिक पारदर्शिता को मजबूत करने के लिए लाया गया है.
विपक्ष की आपत्ति और सदन की कार्यवाही स्थगित
विपक्ष ने इस बिल का पुरजोर विरोध किया और सरकार पर संविधान को बदलने का आरोप लगाया. भारी शोरगुल और नारेबाज़ी के चलते लोकसभा की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा.
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