आईपीओ और शेयरों की दोबारा लिस्टिंग में प्राइस डिस्कवरी के नियम बदल सकते हैं, जानिए क्या है पूरा मामला – ipo and re listing of stocks sebi may change price discovery rules after disputes related to swan defence stock re listing

सेबी आईपीओ और दोबारा लिस्ट होने वाले शेयरों में प्राइस डिस्कवरी के फ्रेमवर्क में बदलाव करना चाहता है। रेगुलेटर ने इसके लिए स्टॉक एक्सचेंजों और दूसरे मार्केट पार्टिसिपेंट्स के साथ बातचीत शुरू कर दी है। इस साल स्वान डिफेंस के शेयरों की दोबारा लिस्टिंग में प्राइस डिस्कवरी को लेकर चिंता के बाद रेगुलेटर का ध्यान इस तरफ गया है। इस पूरी चर्चा के केंद्र में स्पेशल प्री-ओपन सेशंस के दौरान डमी प्राइस बैंड का इस्तेमाल है। कुछ इनवेस्टर्स का कहना है कि इसका असर निष्पक्षता पर पड़ता है।

प्राइस डिस्कवरी प्रोसेस को ज्यादा पारदर्शी बनाने पर फोकस

इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि सेबी यह जानना चाहता है कि प्रोसेस को ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए स्ट्रक्चरल चेंजेज की कितनी गुंजाइश है। इससे इनसॉल्वेंसी के बाद शेयरों की दोबारा लिस्टिंग से जुड़े मामलों में भरोसा बढ़ेगा। सवाल है कि क्या प्री-ओपन सेशन में पार्टिसिपेशन बढ़ाने के लिए डमी प्राइस बैंड सिस्टम में बदलाव किया जा सकता है? क्या इसकी जगह एक ऑटोमैटेटेड मैकेनिज्म का इस्तेमाल किया जा सकता है? क्या 9:35 के बाद किसी तरह की रियायत पर रोक वाले नियम पर दोबारा विचार किया जा सकता है?

स्वान डिफेंस के शेयरों की दोबारा लिस्टिंग से जुड़ा है मामला

एक दूसरा अहम सवाल यह है कि क्या दोबारा लिस्टिंग वाले शेयरों के बेस प्राइस को फेस वैल्यू और बुक वैल्यू में से जो कम हो, उससे लिंक करने की व्यवस्था जारी रखी जा सकती है या वैल्यू प्रजेंट करने के लिए ज्यादा सही तरीके की जरूरत है? यह पूरा मामला स्वान डिफेंस के शेयरों की एनएसई और बीएसई पर दोबारा लिस्टिंग से जुड़ा है। कंपनी के रिजॉल्यूशन प्लान को एप्रूवल के बाद शेयरों की दोबारा लिस्टिंग हुई थी। स्पेशल प्री-ओपन सेशन (SPOS) के दौरान एक्सचेंज ने जो तरीका बताया था उसमें यह कहा गया था कि डमी या डायनेमिक प्राइस बैंड शेयर से 85 फीसदी कम या 50 फीसदी ज्यादा होगा।

स्वान डिफेंस ने प्रोसेस पर उठाए थे सवाल

एक्सचेंजों ने जो तरीका बताया, उसके मुताबिक बीएसई पर शेयर का इक्विलिबेरियम प्राइस 35.99 रुपये आया, जो अपने आप एनएसई पर ओपनिंग प्राइस के लिए कैरी फॉरवर्ड हो गया। स्वान डिफेंस ने इसका विरोध किया। उसने दलील दी कि डिस्कवर्ड प्राइस मार्च 2024 के फाइनेंशियल्स में शेयर की 1,578.48 रुपये की बुक वैल्यू से काफी कम है। उसने कहा है कि इससे शेयरहोल्डर्स की वेल्थ को नुकसान पहुंचा है और निवेशकों के भरोसे को चोट लगी है।

सेबी के सर्कुलर के उल्घंन का आरोप

Swan Defence ने कहा कि डमी प्राइस बैंड के इस्तेमला से सेबी के जनवरी 2012 के सर्कुलर का उल्लंघन हुआ है। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि शेयरों की दोबारा लिस्टिंग के मामले में ऐसे सेशंस में किसी प्राइस बैंड का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कंपनी ने दावा किया कि कीमतों को कृत्रिम रूप से दबाने के इस मामले से शेयरहोल्डर्स को काफी नुकसान पहुंचा है। इससे मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग की शर्तों का पालन मुश्किल हो गया है। साथ ही कंपनी की वैल्यूएशन प्रतिद्वंद्वी कंपनियों की वैल्यूएशन के मुकाबले काफी कम हो गई है।

एक्सचेंजों की दलील

उधर, एक्सचेंजों की दलील थी कि डमी प्राइस बैंड का इस्तेमाल फैट-फिंगर एरर को रोकने के लिए होता है। इस फ्रेमवर्क का इस्तेमाल 2012 से हो रहा है। अगस्त 2021 से दोबारा लिस्ट होने वाले शेरों के लिए ऑपरेटिंग बैंड को माइनस 85 फीसदी से लेकर प्लस 50 फीसदी तय किया गया है। आपसी बातचीत से इसे 10 फीसदी बढ़ाने का विकल्प है।

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