जन्म और मृत्यु अटल है. मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार जरुर किया जाता है. ये हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में सबसे अंतिम संस्कार है. हिंदू धर्म में अगर किसी सुहागिन की मृत्यु होती है तो उसके दाह संस्कार से पहले उसका 16 श्रृंगार किया जाता है, आखिर क्या है इसकी वजह आइए जानते हैं.
अंतिम संस्कार क्यों है जरुरी ?
शास्त्रों के अनुसार अंतिम संस्कार या दाह संस्कार इसलिए किया जाता है क्योंकि यदि आत्मा की अपने शरीर के प्रति आसक्ति बची हो तो वह छूट जाए, क्योंकि इसके बाद वह नए शरीर को धारण करती है या फिर स्वर्ग चली जाती है.
सुहागिन के अंतिम संस्कार से पहले क्यों करते हैं 16 श्रृंगार
अगर किसी की असमय मृत्यु हो जाए तो उसकी आत्मा की शांति के लिए कुछ विशेष कर्मकांड कराए जाते हैं. जब कोई विवाहिता (सुहागिन) स्त्री की मृत्यु होती है तो उसके दाह संस्कार से पहले 16 श्रृंगार करने का महत्व बताया गया है. इसका संबंध रामायण काल से है.
माता सीता के विवाह के समय उनकी मां सुनैना देवी ने उन्हें बताया था कि जिस तरह शादी के समय दुल्हन 16 श्रृंगार कर अपने ससुराल जाती है और अखंड सौभाग्य पाती है. उसकी तरह जब विवाहिता रहकर उसकी मृत्यु हो तब भी उसका सोलह श्रृंगार कर उसे विदा किया जाता है.
मान्यताओं के अनुसार, अंतिम संस्कार से पहले सुहागिन का 16 श्रृंगार इसलिए किया जाता है ताकि उसे अगले जन्म में भी सौभाग्य की प्राप्ति हो. ये एक पारंपरिक प्रथा है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है.
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