नई दिल्ली। कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया अलायंस (India Alliance) ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी (79) को उपराष्ट्रपति का कैंडिडेट घोषित कर एनडीए गठबंधन के सामने धर्म संकट खड़ा कर दिया है। विपक्षी खेमे की तरफ से दावा किया है कि यह विचारधारा की लड़ाई है। दो दिन पहले तक बीजेपी (BJP) के दांव में फंसे विपक्ष ने गैर-राजनीतिक चेहरे व्यक्ति की पसंदगी करके दबाव बनाने की कोशिश की है। बी सुदर्शन रेड्डी (B Sudarshan Reddy) का जन्म आंध्र प्रदेश के रंगारेड्डी जिले में हुआ था।
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राज्य के विभाजन के बाद यह जिला अब तेलंगाना का हिस्सा है। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि एनडीए के बड़े सहयोगी चंद्रबाबू नायडू क्या मन बदलेंगे या फिर बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए (NDA) के साथ रहेंगे। यही धर्मसंकट वाईएसआरसीपी (YSRCP) और तेलंगाना में मुख्य विपक्ष बीआरएस के सामने भी होगा। बीआरएस (BRS) के पास राज्यसभा में तीन सदस्य हैं। बी सुदर्शन रेड्डी (Former Supreme Court Judge B Sudarshan Reddy) का पूरा नाम बालकृष्ण सुदर्शन रेड्डी (Balakrishna Sudarshan Reddy) है। रेड्डी आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में भी जज रहे हैं।
दूसरी ओर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और तमिलनाडु से आने वाले सीपी राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) को मैदान में उतारा है। दोनों उम्मीदवारों के क्षेत्रीय मूल ने इस चुनाव को दिलचस्प मोड़ दे दिया है। इससे एनडीए (NDA) और इंडिया गठबंधन (India Alliance) के सहयोगी दलों के सामने धर्म संकट खड़ा हो गया है।
इंडिया गठबंधन (India Alliance) की रणनीति ने एनडीए को मुश्किल में डाल दिया है। सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाकर गठबंधन ने आंध्र प्रदेश की राजनीति में नया समीकरण बनाया है। आंध्र प्रदेश में सत्ताधारी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) दोनों के लिए यह फैसला चुनौतीपूर्ण है। टीडीपी (TDP) एनडीए (NDA) की अहम सहयोगी है। उसके प्रमुख और मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू (Chief Minister N. Chandrababu Naidu) अब क्षेत्रीय गौरव और गठबंधन की वफादारी के बीच फंस गए हैं। सुदर्शन रेड्डी (Sudarshan Reddy) के आंध्र प्रदेश से होने के कारण टीडीपी पर दबाव बढ़ गया है कि वह अपने राज्य के नेता का समर्थन करे।
जगन मोहन रेड्डी ने दिया राधाकृष्णन को समर्थन
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दूसरी ओर YSRCP प्रमुख जगन मोहन रेड्डी (YSRCP chief Jagan Mohan Reddy) पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) से बातचीत के बाद एनडीए उम्मीदवार राधाकृष्णन के समर्थन की घोषणा कर चुके हैं। लेकिन सुदर्शन रेड्डी (Sudarshan Reddy) के मैदान में उतरने से उनकी स्थिति भी जटिल हो गई है। आंध्र प्रदेश में YSRCP का आधार मुख्य रूप से रेड्डी समुदाय में है और सुदर्शन रेड्डी (Sudarshan Reddy) के नाम ने उनके समर्थकों के बीच क्षेत्रीय भावनाओं को जगा दिया है। जगन के लिए अब यह फैसला आसान नहीं होगा कि वे एनडीए के प्रति अपनी प्रतिबद्धता निभाएं या अपने राज्य के उम्मीदवार का समर्थन करें।
उधर, एनडीए की रणनीति भी तमिलनाडु के समीकरणों पर आधारित थी। राधाकृष्णन तमिलनाडु के ओबीसी गाउंडर समुदाय से आते हैं। उनको उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने डीएमके को असमंजस में डालने की कोशिश की थी। डीएमके इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। उसके लिए राधाकृष्णन का तमिल मूल एक चुनौती थी, क्योंकि तमिल गौरव उनके लिए बड़ा मुद्दा है। हालांकि, डीएमके ने सुदर्शन रेड्डी (Sudarshan Reddy) के समर्थन का फैसला किया है, जिससे यह साफ हो गया कि वे गठबंधन धर्म को प्राथमिकता देंगे। चुनावी गणित की बात करें तो एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा में 422 सांसदों का समर्थन है, जो जीत के लिए जरूरी 394 वोटों से अधिक है। YSRCP के समर्थन ने उनकी स्थिति को और मजबूत किया था। लेकिन सुदर्शन रेड्डी (Sudarshan Reddy) के नाम ने आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय भावनाओं को हवा दी है, जिससे टीडीपी और YSRCP के सांसदों के बीच क्रॉस-वोटिंग की संभावना बढ़ गई है। यह चुनाव न केवल उपराष्ट्रपति पद के लिए है, बल्कि क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी एक बड़ा इम्तिहान है।
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