Aja Ekadashi 2025: आज अजा एकादशी का व्रत है. भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही अजा एकादशी (Aja Ekadashi 2025) कहा जाता है. यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने और पापों से मुक्ति के लिए किया जाता है. इस व्रत में महिलाएं पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करती हैं.
अजा एकादशी के दिन व्रती महिलाओं को शाम के समय ये 6 काम जरूर करने चाहिए. इन कामों को करने से भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइए जानते हैं इसके बारे में.
अजा एकादशी की शाम महिलाएं करें ये 6 काम
भगवान विष्णु की पूजा
- अजा एकादशी की शाम व्रती महिलाएं पुनः स्नान करके शुद्ध और साफ वस्त्रों को धारण करें.
- इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के समीप घी का दीपक जलाकर पुष्प, धूप, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें.
- पूजा करने के बाद 101 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें.
- इसके साथ ही आज मंगलवार है तो हनुमान चालीसा का पाठ करना न भूलें.
व्रत कथा और कीर्तन
- अजा एकादशी की शाम महिलाओं को व्रत कथा सुननी और पढ़नी चाहिए.
- इसके साथ ही महिलाएं मिलकर भजन-कीर्तन भी कर सकती हैं.
जागरण और कथा सुनें
- शास्त्रों के अनुसार किसी भी एकादशी के दिन जागरण करना शुभ माना जाता है.
- महिलाएं परिवार समेत भगवान विष्णु की कथा सुनने के साथ श्रीमद्भगवद्गीगा के श्लोक या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें.
दान और सेवा करें
- अजा एकादशी के दिन व्रती महिलाओं को जरूरतमंदों को दान करना चाहिए. अनाज, वस्त्र या गौ-दान करना श्रेष्ठ माना जाता है.
- यह दान पितरों की शांति और पुण्यफल में इजाफा करता है.
अजा एकादशी को लेकर पौराणिक महत्व
- पद्म पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक जो महिलाएं अजा एकादशी का व्रत करती हैं, उन्हें जन्मों-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलने के साथ परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
- यह व्रत खासतौर पर सौभाग्य और संतान सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है.
अगले दिन पारण की कैसे करें तैयारी?
महिलाएं पारण के दिन तक अपने व्रत का संकल्प बनाए रखें और द्वादशी तिथि (अगले दिन सूर्योदय के बाद) भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद ही व्रत का पारण करें.
पारण करने से पहले तुलसी जल को अर्पित करना बेहद जरूरी होता है.
अजा एकादशी की शाम व्रती महिलाएं भगवान विष्णु की पूजा-आराधना के साथ दीपक जलाएं, कथा सुनें, भजन-कीर्तन करें. रात के समय जागरण और अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करें. इन कामों को करने से व्रत का संकल्प पूरा होता है. इसके साथ ही जीवन में समस्त परेशानियों का भी अंत होता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
Read More at www.abplive.com