प्रियांक खरगे ने आंबेडकर के बयान का हवाला देकर, बोले-जिन्ना से पहले सावरकर ने हिंदू महासभा के 19वें अधिवेशन में रखा था द्वि-राष्ट्र का विचार

नई दिल्ली। कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खरगे (Karnataka Minister Priyank Kharge) ने दावा किया है कि द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की अवधारणा मोहम्मद अली जिन्ना (Mohammad Ali Jinnah) और मुस्लिम लीग (Muslim League) से पहले विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) के तरफ से दी गई थी। एक्स पर साझा एक पोस्ट में, सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि ‘द्वि-राष्ट्र का विचार (Idea of Two-Nation) सबसे पहले वीर सावरकर ने रखा था और उनके टुकड़े-टुकड़े गिरोह ने इसका समर्थन किया था।

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प्रियांक खरगे (Priyank Kharge) ने सावरकर के लेखों और भाषणों का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पोस्ट में बताया ‘एसेंशियल्स ऑफ हिंदुत्व (1922 में लिखी गई) में, सावरकर हिंदुत्व को धर्म से नहीं, बल्कि मातृभूमि से परिभाषित करते हैं, भारत को ‘पितृभूमि और पवित्रभूमि’ दोनों के रूप में परिभाषित करते हैं। खरगे ने बताया कि ‘1937 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा के 19वें अधिवेशन (19th session of Hindu Mahasabha) के दौरान, सावरकर ने कहा था, भारत में दो विरोधी राष्ट्र एक साथ रह रहे हैं। आज के भारत को एकात्मक और समरूप राष्ट्र नहीं माना जा सकता। बल्कि भारत में मुख्य तौर पर दो देश हैं: जिनमें हिंदू और मुसलमान हैं।

खरगे ने कहा कि 1943 में सावरकर के तरफ से नागपुर में की गई टिप्पणी का हवाला दिया: ‘मुझे जिन्ना के द्वि-राष्ट्र सिद्धांत (Idea of Two-Nation) से कोई आपत्ति नहीं है। हम हिंदू, अपने आप में एक राष्ट्र हैं, और यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि हिंदू और मुसलमान दो राष्ट्र हैं।’

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