China Linked Stocks: इस साल भारतीय शेयर बाजार अधिकतर ग्लोबल मार्केट के मुकाबले पीछे है, लेकिन कुछ कंपनियों के शेयरों में जल्द हलचल देखने को मिल सकती है। खासकर, जिनका चीन से कोई लिंक है। दुनिया के दो सबसे बड़ी आबादी वाले देशों के रिश्ते अब नरम होते नजर आ रहे है। क्योंकि दोनों का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ ट्रेड पॉलिसी के तहत उन्हें गलत तरीके से निशाना बना रहे हैं।
फंड मैनेजर्स अब फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर में उन कंपनियों की तलाश कर रहे हैं, जिनकी चीन से सप्लाई लाइन या एक्सपोर्ट चैनल जुड़े हैं। ये कंपनियां आने वाले समय में प्रमुख लाभार्थी बन सकती हैं।
इन कंपनियों को मिलने लगा है फायदा?
भारत-चीन के रिश्तों में नरमी का असर कुछ कंपनियों के स्टॉक्स में पहले ही दिखना शुरू हो गया। भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo को चलाने वाली InterGlobe Aviation Ltd के शेयर पिछले हफ्ते 4% से ज्यादा बढ़ गए। इसकी वजह ये खबरें थीं कि भारत और चीन के बीच सीधे उड़ानें अगले महीने फिर से शुरू हो सकती हैं।
इसी तरह, कार पार्ट्स निर्माता Minda Corp का चीन में पार्टनर है। वहीं, इलेक्ट्रॉनिक-कॉम्पोनेंट निर्माता Kaynes Technology India Ltd चीन से मुख्य पार्ट्स आयात करती है। इन दोनों के शेयर 5% से ज्यादा बढ़ गए।
Pinetree Macro के फाउंडर Ritesh Jain का कहना है, ‘भारत-चीन के बीच विवाद जल्द सुलझने की उम्मीद है। ऐसे में चीन के निवेश के लिए भारत अपने दरवाजे खोल सकता है। चीन के पैमाने और तकनीक से भारत में कई कंपनियों को फायदा होगा। इसलिए निवेशकों को समय रहते तैयार रहना चाहिए।’
ट्रंप की नीतियों से भारत-चीन कुछ नजदीक
भारत और चीन के संबंध कई दशक से सीमा विवाद और भू-राजनीतिक टकराव से प्रभावित रहे हैं। 2020 में गलवान झड़प हुई, जिसमें दोनों देशों के सैनिकों को जान गंवानी पड़ी। भारतीय उपभोक्ताओं से चीनी सामान का बहिष्कार करने की अपील हुई। हाल ही में पाकिस्तान ने भारत के साथ सैन्य तनाव में चीनी हथियारों की मदद ली, जिससे तनाव और बढ़ा।
हालांकि, ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी ने अप्रत्यक्ष रूप से दोनों देशों को साथ आने के लिए प्रेरित कर रही है। ट्रंप के मौजूदा टैरिफ में भारत के सामान पर 50% और चीन के सामान पर कम से कम 54% तक का शुल्क शामिल है। सीधे उड़ानों के शुरू होने के अलावा, सीमा व्यापार को दोबारा शुरू करने की भी बातचीत हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने चीन की यात्रा कर सकते हैं और वहां प्रधानमंत्री शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। इससे आगे की तस्वीर ज्यादा साफ होने की उम्मीद है।
भारत-चीन का व्यापार और निवेश
भले ही सीमा पर कड़ा रुख अपनाया गया हो, चीन अभी भी भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत का चीन से आयात 2025 में 113.5 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल 101.7 अरब डॉलर था। वहीं, भारत का चीन को निर्यात 14.2 अरब डॉलर रहा।
भारत-चीन के रिश्ते सुधरने से ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर को सबसे अधिक फायदा हो सकता है। इसमें सबसे बड़ा हाथ सीधी उड़ान का फिर से शुरू होना रहेगा। इसके अलावा, फंड मैनेजर्स चुनिंदा अवसरों को पहचाने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे कि एविएशन, ट्रैवल और सप्लाई-चेन से जुड़े मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर। उनका ध्यान घरेलू इंपोर्ट-सब्स्टीट्यूशन वाली कंपनियों पर भी है।
फार्मा, केमिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स
भारत-चीन के बीच बेहतर व्यापार संबंध से Lupin Ltd जैसी फार्मा कंपनियां चीन से जरूरी कच्चा माल आसानी से आयात कर पाएंगी। Rashtriya Chemicals & Fertilizers Ltd. भी चीन के उर्वरक निर्यात पर ढील मिलने से लाभ उठा सकती है। इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता Dixon Technologies India Ltd चीन की Xiaomi जैसी कंपनियों के साथ पार्टनर है। वह भी उत्पादन बढ़ाने में बेहतर स्थिति में हो सकती है। JSW Group का जो China के SAIC Motor Corp के साथ ज्वाइंट वेंचर है। उसे भी फायदा हो सकता है।
Maybank Securities, Singapore में इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज सेल्स ट्रेडिंग के हेड Kok Hoong Wong ने ब्लूमबर्ग से कहा, ‘भारत और चीन के बीच कोई भी आर्थिक सहयोग ज्यादा अवसर पैदा करेगा। निवेशकों को उन कंपनियों पर ध्यान देना चाहिए जो सस्ते और कुशल आयात से लाभ उठा सकती हैं, जैसे भारतीय फार्मा और कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता।’
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निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत
ऐसे स्टॉक्स में बढ़ोतरी भारतीय निवेशकों के लिए राहत होगी, जिन्होंने हाल के महीनों में कमजोर प्रदर्शन देखा है। ट्रंप के टैरिफ के डर से Nifty 50 की बढ़त इस साल केवल 4.2% तक रही, जबकि MSCI World Index ने 13% की तेजी दिखाई।
ऑस्ट्रेलिय स्थित Wilson Asset Management के फंड मैनेजर Matthew Haupt का कहना है, “ट्रम्प की नीतियों ने अप्रत्यक्ष रूप से भारत और चीन को करीब लाया। दोनों देश तेल खरीद और रूस से निपटने में समान दबाव झेल रहे हैं, इसलिए बढ़ी हुई निगरानी के बीच रिश्ते मजबूत करना समझदारी है।”
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