Teej 2025 difference: भारतीय संस्कृति में तीज त्योहार का काफी महत्व है, लेकिन इसके कई रूप और अलग-अलग नाम हैं, जिसकी मान्यताएं भी काफी भिन्न हैं. हममें से ज्यादातर लोग हरियाली तीज, हरतालिका तीज और कजरी तीज को एक ही समझ लेते हैं, जबकि ये तीनों ही अलग है. तीनों ही तीज को मनाने का समय भी अलग है.
आज के लेख में हम इन तीनों तीज के बीच का अंतर जानेंगे. इसके साथ ही ये कब और क्यों मनाएं जाते हैं? इन तीनों तीज का महत्व क्या है? ऐसी सभी बातों पर आज हम प्रकाश डालेंगे, ताकि अगली बार आप भी इन तीनों तीज में अंतर स्पष्ट कर पाएं.
हरियाली तीज
हरियाली तीज सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. यह तीज मुख्य रूप से प्रकृति, हरियाली और सुहागिन महिलाओं को समर्पित होता है. इस दिन महिलाएं झूला झूलती हैं, लोक गीत गाने के साथ 16 श्रृंगार करती है.
इसे सावन का तीज भी कहा जाता है. इस साल हरियाली तीज 27 जुलाई 2025, सोमवार के दिन थी.
हरतालिका तीज
हरतालिका तीज भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि यानी भादो महीने में आती है. बात करें इस तीज के महत्व की तो माता पार्वती ने कठिन तपस्या के जरिए शिवजी को पति के रूप में प्राप्त किया था.
हरतालिका तीज व्रत सुहागिन और अविवाहित महिलाएं दोनों ही करती है. इस में महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और 24 घंटे बाद ही अन्न को ग्रहण करती हैं. इस साल हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त 2025 मंगलवार को रखा जाएगा.
कजरी (कजली) तीज
कजरी तीज को कजली तीज भी कहा जाता है. यह तीज भादो मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को आती है. इसे मुख्य रूप से उत्तर भारत के मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाता है.
इस तीज में महिलाएं कजरी गीत गाती हैं. यह व्रत भी सुहागिन महिलाओं के सौभाग्य और पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है. इस साल कजरी तीज का व्रत 12 अगस्त 2025, मंगलवार को था.
तीनों ही तीजों में मुख्य अंतर
- हरियाली तीज सावन महीने की शुरुआत में आता है, जो प्रकृति और हरियाली से जुड़ा होता है.
- हरतालिका तीज भाद्रपद शुक्ल की तृतीय तिथि को मनाया जाता है, जो शिव-पार्वती की कथा से जुड़ा है.
- कजरी तीज भाद्रपद कृष्ण तृतीय को मनाया जाता है.
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