Varah Jayanti 2025: हिन्दू पंचांग के मुताबिक भाद्रपद के महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को विष्णु भगवान के तीसरे अवतार ‘वराह’ की जयंती मनाई जाती है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राक्षस हिरण्याक्ष ने धरती को समुद्र में डुबो दिया था, तभी भगवान विष्णु ने वराह रूप के अवतार में धरती को अपने दांतो पर उठा कर उसे उसके स्थान पर स्थापित कर दिया था. जिसके कारण इस दिन को धर्म, न्याय और साहस की विजय का प्रतीक माना जाता है.
वराह जयंती तारीख और शुभ मुहूर्त
वराह जयंती 25 अगस्त 2025 को सोमवार के दिन मनाई जाएगी. ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:40 बजे से शाम 4:15 बजे तक रहेगा.
तृतीया तिथि 25 अगस्त को दोपहर 12:35 बजे प्रारंभ होकर 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे पर समाप्त होगी.
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं में बताया गया है, कि राक्षस हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को छीनकर समुद्र में गिरा दिया था. तब पृथ्वी को समुद्र से बचाने हेतु भगवान विष्णु ने वाराह अवतार लिया था. जिसके बाद उन्होंने धरती को अपने दांतों पर उठाकर युद्ध कर राक्षस हिरण्याक्ष को हराया और संतुलन स्थापित किया.
महत्त्व
यह त्योहार सत्य की रक्षा, धर्म की विजय और जगत-रक्षण की स्मृति में मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन पूजा करने से भक्त को धन, स्वास्थ्य, मनोकामना, शत्रु पर विजय, भय से मुक्ति और धार्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है.
पूजा विधि
नीचे दी गई पूजा विधि पारंपरिक और प्रमाणिक शास्त्रों पर आधारित है.
- प्रातः शुद्ध स्नान करें और घर या मंदिर स्थल को पवित्र करें
- भगवान वराह की मूर्ति या चित्र पर गंगाजल, दूध, शहद, मक्खन, घी (पंचामृत) से अभिषेक करना चाहिए.
कलश पूजन
- धातु (आम तौर पर पीतल) का कलश लें.
- उसमें जल भर के, आम के पत्ते डालें, फिर उसके ऊपर नारियल रखें.
- पूजा के बाद इसे ब्राह्मण को दान करें
- भजन, कीर्तन और श्रीमद्भगवद्गीता का वाचन करें
- विष्णु/वराह स्तोत्रों का पाठ करें.
इन चीजों का करें दान
- व्रत रख रहे लोग पूर्व संध्या पर गरीबों, निर्धनों को वस्त्र, भोजन, धन आदि का दान करें.
- आरती एवं भोग
- धूप, दीप, नैवेद्य जैसे फल, मिठाई, फलाहार चढ़ाएं.
- आरती से पूजन का समापन करें
- कीर्तन एवं कथा को सुनें या सुनाएं, विशेषकर वराह अवतार की कथा करें और ब्राह्मणों को भोजन एवं दक्षिणा दें.
क्या करें और क्या नहीं?
क्या करें
- प्रातः शुद्ध स्नान करें.
- पंचामृत से अभिषेक कर कलश पूजन, पाठ, आरती और भजन कीर्तन करें.
- व्रत रखें (पूर्ण अथवा अंशतः).
- गरीबों, ब्राह्मणों को दान करें.
- कथा वाचन करें, स्तोत्र पाठ करें.
- पूजा में लगातार श्रद्धा बनाए रखें.
क्या नहीं करें
- पूजा के समय बेवजह के वाद-विवाद या चिंता के माहौल से पूजा को बिगड़ने न दें.
- व्रत के दौरान नियम तोड़ने जैसे माँसाहार, मद्यपान, अशुद्धता से बचें.
भोग व विशेष उपाय
- भोग में फल, मिठाई, पंचाहार (दही, फल, हलवा आदि) को शामिल कर सकते हैं.
- यदि व्रत रखा गया है, तो वैदिक् रूप से फलाहार या दही-फल से उपवास तोड़ा जा सकता है.
- पूजा स्थलों (जैसे मथुरा, तिरुमाला) में विशेष प्रसाद की व्यवस्था होती है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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