स्वतंत्रता दिवस के भाषण में शहबाज शरीफ ने भारत को कहा ‘दुश्मन’, बोले- पानी की एक बूंद भी रोकी तो खुदा की कसम…

सिंधु जल संधि सस्पेंड किए जाने के भारत के फैसले से पाकिस्तान बुरी तरह बौखलाया हुआ है और ये बौखलाहाट पाक आर्मी चीफ फील्ड मार्शल आसिम मुनीर, पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की तकरीरों में साफ नजर आ रही है. पाकिस्तान पानी की एक-एक बूंद को इस कदर मोहताज हो चुका है कि अपने स्वतंत्रता दिवस पर भी शहबाज शरीफ का पूरा भाषण सिंधु जल संधि पर ही फोकस था.

आसिम मुनीर और बिलावल भुट्टो की परमाणु धमकियों के बाद शहबाज शरीफ की भी गीदड़भभकी आई है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार  शहबाज शरीफ ने भारत का नाम लिए बगैर अपने भाषण में कहा, ‘मैं आज दुश्मन को बताना चाहता हूं कि अगर तुम हमारा पानी बंद करने की धमकी देते हो तो ये बाद जहन में रखना की पाकिस्तान की एक बूंद भी तुम पाकिस्तान से छीन नहीं सकते. उस खुदा की कसम है.

शहबाज शरीफ से पहले आसिम मुनीर ने अमेरिका की धरती से भारत को परमाणु हमले की धमकी दी थी. उन्होंने कहा था कि अगर भारत सिंधु नदी पर डैम बनाता है तो पाकिस्तान मिसाइलों से उसको नष्ट कर देगा. उन्होंने यह भी कहा था कि पाकिस्तान एक परमाणु देश है अगर हमें लगा कि हम डूब रहे हैं तो हम आधी दुनिया को अपने साथ ले डूबेंगे.

आसिम मुनीर की इस गीदड़भभकी के दो दिन बाद ही 11 अगस्त को पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चीफ बिलावल भुट्ट जरदारी भी भारत के खिलाफ जहर उगलते हुए नजर आए थे. बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा था कि अगर जंग छिड़ गई तो हम पीछे नहीं हटते. हमने सोचा नहीं था कि सिंधु पर डैम बनाने का ऐलान करेंगे और पाकिस्तान की 200 मिलियन की आवाम को यह धमकी देना कि हम पानी को रोक देंगे. हमने इसके लिए दुनियाभर में आवाज उठाई है.

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए थे, जिसमें सिंधु जल संधि को रद्द किया जाना भी शामिल है. भारत के इस फैसले से पाकिस्तान को सबसे ज्यादा परेशानी हुई है इसलिए वो भारत से बात करने की इच्छा भी जाहिर कर चुका है, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि पहले आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) का मसला सुलझेगा उसके बाद ही किसी और मुद्दे पर बात होगी.

साल 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से पाकिस्तान और भारत के बीच सिंधु जल संधि हुई थी. इसके तहत सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का कंट्रोल पाकिस्तान को दिया गया और रावी, ब्यास और सतलुज का नियंत्रण भारत को दिया गया.

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