पाकिस्तान में चार लाख लोग हुए घर में कैद, सेना चला रही ऑपरेशन

नइ दिल्ली। पाकिस्तान में चार लाख लोग अपने ही घरों में कैद हो गए है। वहीं 55 हजार से अधिक लोग अपने घर भी नहीं जा पा रहे है। पाकिस्तानी सोना बाजौर जिले में ऑपरेशन सरबाकफ शुरू किया है। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बाजौर जिले में पाकिस्तानी सेना ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के खिलाफ बड़े पैमाने पर ऑपरेशन सरबाकफ शुरू किया है। यह अभियान मुख्य रूप से लोई मामुंड और वार मामुंड तहसीलों में चल रहा है, जिन्हें पहले टीटीपी का गढ़ माना जाता था।
कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान और तालिबान कमांडरों के साथ शांति वर्ता हुई थी, लेकिन यह वर्ता असफल रही थी। इसके बाद पाकिस्तान ने बाजौर जिले में तीन दिन तक के लिए कफ्र्यू लगा दिया है। कफ्यू में पाकिस्तान की चार लाख आवाम अपने—अपने घरों में कैद हो गई है। वहीं 55 हजार से अधिक लोग अपने घर से बाहर रहने के लिए मजबूर। पाकिस्तानी सेना उनको अपने घर नहीं लौटने दे रही है।

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सेना अपने ही नागरिकों को कर रही है टार्चर

अवामी नेशनल पार्टी के विधायक निसार बाज ने खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा में आरोप लगाया कि क्रफ्यू के चलते लोग सुरक्षित स्थानों पर नहीं जा पा रहे हैं। सेना अपने ही नागरिकों को टॉर्चर कर रही है। कई परिवार टेंटों, खुले मैदानों और सार्वजनिक इमारतों में रात बिताने को मजबूर हैं। यातायात के साधनों की कमी और भोजन-पानी की दिक्कत ने हालात और खराब कर दिए हैं।

बातचीत असफल होने के बाद तेज हुई कार्रवाई

अधिकारियों का कहना है कि प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार मुबारक ख़ान जैब के अनुसार, स्कूलों को अस्थायी शरणस्थल बनाया गया है। जिला प्रशासन ने खार तहसील में 107 शैक्षणिक संस्थानों को राहत शिविर के रूप में चिह्नित किया है। हालांकि जमीनी रिपोर्टों के मुताबिक, राहत सामग्री और आश्रय के इंतजाम पर्याप्त नहीं हैं। यह अभियान 29 जुलाई को शुरू हुआ था, लेकिन अगले दिन जनजातीय जिरगा की मध्यस्थता के कारण अस्थायी रूप से रोक दिया गया। कई दौर की बातचीत के बावजूद दो अगस्त को वार्ता विफल हो गई, जिसके बाद सेना ने कार्रवाई दोबारा शुरू कर दी।

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टीटीपी का गढ़ रहा है बाजौर जिला

बाजौर जिला लंबे समय से टीटीपी का गढ़ रहा है। पाकिस्तान सेना पहले भी यहां कई ऑपरेशन कर चुकी है, जिनमें हजारों लोग विस्थापित हुए थे। इस बार की कार्रवाई में भी सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ की खबरें हैं, लेकिन सेना की ओर से नागरिकों पर टॉर्चर और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।

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