UP ASSEMBLY MONSOON SESSION : CAG रिपोर्ट पेश, खनन, ठोस कचरा प्रबंधन और सड़क निर्माण में धांधलियां उजागर , खनन में इस्तेमाल हुआ शव वाहन और एम्बुलेंस

लखनऊ : यूपी विधानसभा के मानसून सत्र में पेश अलग-अलग विभागों की नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) रिपोर्ट में विभिन्न विभागों में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा किया है। खनन, ठोस कचरा प्रबंधन और सड़क निर्माण जैसे क्षेत्रों में हुई धांधलियों ने सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

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कांग्रेस नेता अराधना मिश्रा ‘मोना’ ने विजन डॉक्यूमेंट 2047 पर चर्चा के दौरान कहा कि ऑडिट रिपोर्ट में खनन के लिए इस्तेमाल की गई गाड़ियों में शव वाहन और एम्बुलेंस तक शामिल होने का चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है।

CAG रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ नगर निगम में ठोस कचरा प्रबंधन और घर-घर कचरा संग्रह में भारी अनियमितताएं पाई गईं। महापौर संयुक्ता भाटिया के कार्यकाल में मेसर्स इकोग्रीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को अनुचित लाभ पहुंचाने का मामला उजागर हुआ है। जनवरी 2018 से मार्च 2022 तक फर्म ने 215.89 करोड़ रुपये के बिल पेश किए, लेकिन सत्यापन के बाद पर्यावरण अभियंता ने केवल 169.21 करोड़ रुपये का भुगतान किया। CAG ने पाया कि बिलों में कचरे की मात्रा को मनमाने ढंग से बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया।

इसके अलावा, शिवरी (लखनऊ) में अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र सितंबर 2019 और अक्टूबर 2020 के बीच 409 दिन तक बंद रहा। इस दौरान फर्म पर 39.74 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया, लेकिन निगम ने फर्म को 5.28 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया। CAG ने इस गलत भुगतान के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की है। CAG रिपोर्ट के अनुसार देश में सड़कों की लंबाई के मामले में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है, जहां कुल 4,42,907 किलोमीटर सड़कों का नेटवर्क है। इनमें से 2,98,242 किलोमीटर सड़कें जनवरी 2023 तक लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधीन थीं।

2016-17 से 2022-23 तक केंद्रीय सड़क निधि से सड़क विकास पर 7,257.86 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन 78 फीसदी कार्य निर्धारित समय से 59 से 1,474 दिन तक देरी से पूरे हुए। PWD ने यातायात सर्वेक्षण और योजना के अभाव में सड़कों की पहचान और प्राथमिकता तय करने में लापरवाही बरती। यातायात गणना भारतीय सड़क कांग्रेस के मानकों के अनुसार नहीं की गई, बल्कि सांकेतिक मानकों पर आधारित थी। वित्तीय प्रबंधन में भी खामियां मिलीं। टेंडर प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन हुआ। कार्यों की स्वीकृति से पहले ही टेंडर आमंत्रित किए गए और अल्पकालीन सूचनाएं जारी की गईं. 111 में से 15 टेंडरों के बिलों को पुनरीक्षित कर 50% से अधिक बढ़ाया गया, जिससे ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचा।

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CAG के सुझाव

CAG ने ठोस कचरा प्रबंधन के लिए जनजागरूकता बढ़ाने, बजट का समय पर और उचित उपयोग करने और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए निर्धारित बजट को न रोकने की सिफारिश की है। साथ ही, सड़क निर्माण में पारदर्शिता और यातायात सर्वेक्षण को अनिवार्य करने पर जोर दिया गया है। इन खुलासों ने राज्य सरकार के सामने सुधार की चुनौती पेश की है। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि कैग की रिपोर्ट सदन के पटल पर रख दी गई है और जो भी सिफारिश है उसे आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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