मुंबई। महाराष्ट्र में अभी भाषा का विवाद शांत भी नहीं हुआ है कि उससे पहले ही अब मीट को लेकर विवाद शुरू हो गया। स्वतंत्रता दिवस के मौके मीट बैन के आदेश को लेकर देश भर में सियासी घमाशान छिड़ गया है। कई राजनेताओं ने इस हादसे को पार्टी लाइन से ऊपर उठकर इस बैन को लोगों के खाने-पीने की आदतों पर प्रहार बताते हुए इसे स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है।
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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मीट की दुकान बंद करने के आदेश जारी किया गया है। इस बात पर पूदे देश में हंगामा मच गया है। असदुद्दीन ओवौसी और आदित्य ठाकरे के बाद अब महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार का बयान भी इस मामले पर अपना बयान जारी किया है। उन्होंने आदेश के गलत बताते हुए कहा कि इस तरह का प्रतिबंध लगाना गलत है। बड़े शहरों में अलग-अलग जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह भावनात्मक मुद्दा है, तो लोग इसे (प्रतिबंध को) एक दिन के लिए स्वीकार कर लेते हैं। लेकिन अगर आप महाराष्ट्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ऐसे आदेश जारी करते हैं तो यह मुश्किल है।
आदेश पर पहले ही सांसद ओवैसी जता चुके है नाराजगी
हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवौसी ने ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम द्वारा 15 और 16 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी को बूचड़खाने और मांस की दुकानें बंद रखने के आदेश की आलोचना की है। ओवैसी ने कहा, भारत में कई नगर निगमों ने 15 अगस्त को बूचड़खाने और मांस की दुकानें बंद रखने का आदेश दिया है। दुर्भाग्य से, ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम ने भी ऐसा ही आदेश दिया है। यह असंवैधानिक है।
कौन क्या खाएगा यह कोई तय नहीं कर सकता
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मुंबई के पास ठाणे के कल्याण डोंबिवली नगर निगम ने भी ऐसा ही आदेश जारी किया है। जिसको लेकर शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि म्युनिसिपल कमिश्नर को निलंबित कर देना चाहिए। यह तय करना उनका काम नहीं है कि कौन क्या खाएगा। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर हम क्या खाते हैं, यह हमारा अधिकार है और हमारी आजादी है। वे हमें यह नहीं बता सकते कि हमें क्या खाना चाहिए। हमारे घर में, नवरात्रि के दौरान भी, प्रसाद में झींगा और मछली होती है क्योंकि यह हमारी परंपरा है। यही हमारा हिंदुत्व है। आप हमारे घरों में क्यों घुस रहे हैं। नगर निगम को सड़कों पर गड्ढों जैसी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
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