तीन साल में एम्स से 429 डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा, जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह

AIIMS Doctors Resignation: देश में एम्स को इलाज और मेडिकल शिक्षा का सर्वोच्च संस्थान माना जाता है. यहां काम करना किसी भी डॉक्टर के लिए गर्व की बात होती है. लेकिन बीते तीन सालों में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चिंता बढ़ाने वाले हैं. 2022 से 2024 के बीच देशभर के 20 एम्स संस्थानों से कुल 429 डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है. सवाल यह है कि आखिर क्यों डॉक्टर इस प्रतिष्ठित संस्थान को छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं?

कहां से कितने डॉक्टर छोड़ रहे एम्स? 

सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा इस्तीफे दिल्ली एम्स से हुए, जहां 52 डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ी. इसके अलावा ऋषिकेश में 38, रायपुर में 35 और बिलासपुर में 32 डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया है. बाकी 20 संस्थानों में भी यह सिलसिला जारी है. अब यह मरीजों की सुविधा पर भी असर डाल सकता है. 

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प्राइवेट सेक्टर में चार से दस गुना ज्यादा सैलरी

रिपोर्ट के अनुसार, एम्स छोड़ने का सबसे बड़ा कारण वेतन का अंतर है. प्राइवेट अस्पतालों में डॉक्टरों को एम्स की तुलना में चार से दस गुना अधिक पैसा मिलता है. ऐसे में कई डॉक्टर बेहतर आर्थिक अवसरों के लिए प्राइवेट सेक्टर की ओर रुख कर रहे हैं. 

वर्कलोड और लंबी ड्यूटी

एम्स जैसे सरकारी संस्थानों में मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा होती है, जिससे डॉक्टरों पर भारी वर्कलोड आ जाता है. लंबे घंटों की ड्यूटी और सीमित संसाधन उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से थका देते हैं. इसके मुकाबले प्राइवेट अस्पतालों में कार्य आरामदायक और बेहतर सुविधाओं के साथ चलता है. 

करियर ग्रोथ और रिसर्च के मौके

कई डॉक्टर मानते हैं कि प्राइवेट सेक्टर में रिसर्च प्रोजेक्ट्स, नई तकनीक के साथ काम करने और इंटरनेशनल लेवल पर जुड़ने के ज्यादा मौके मिलते हैं. वहीं, सरकारी संस्थानों में नौकरशाही प्रक्रियाएं और धीमी प्रणाली कई बार करियर ग्रोथ को धीमा कर देती हैं. 

लंबी कतारें और सेवाओं की कमी

डॉक्टरों के इस्तीफे का सीधा असर मरीजों पर पड़ता है. कम स्टाफ होने से एम्स में अपॉइंटमेंट्स के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. सर्जरी और अन्य जरूरी इलाज में देरी हो सकती है, जिससे गंभीर मरीजों की मुश्किलें बढ़ेंगी. 

कैसे रोक सकते हैं इस्तीफे 

एक्सपर्ट्स का मानना है कि डॉक्टरों को एम्स में बनाए रखने के लिए वेतन में सुधार, वर्क-लाइफ बैलेंस, रिसर्च के अवसर और बेहतर सुविधाएं जरूरी हैं. अगर सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाती है, तो डॉक्टरों का पलायन कम हो सकता है. 

एम्स से डॉक्टरों का इस्तीफा केवल संस्थान की समस्या नहीं, बल्कि पूरे हेल्थ सेक्टर के लिए चेतावनी है. अगर यह सिलसिला यूं ही चलता रहा, तो सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ेगा और आम लोगों की पहुंच अच्छे इलाज तक और कठिन हो जाएगी. समय रहते समाधान ढूंढना ही इस संकट से बाहर निकलने का रास्ता है. 

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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