मनीकंट्रोल को सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबित टाटा संस और उसके सबसे बड़े माइनोरिटी शेयरधारक, शापूरजी पलोनजी (SP) समूह के बीच संभावित समझौता वार्ता और SP समूह के लिए एक्जिट रूप पर शुरुआती बातचीत SP समूह के संभावित निकासी के स्ट्रक्चर पर फोकस्ड है। कई महीने पहले शुरू हुई वार्ता अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है।
सूत्रों के मुताबिक इसके लिए फिलहाल दो विकल्प विचाराधीन हैं। पहला विकल्प टाटा संस द्वारा एसपी समूह की हिस्सेदारी को वापस खरीदना है। इसके लिए बड़ी पूंजी की जरूरत होगी। इसमें SP समूह पर भी लगभग 36 फीसदी का कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। यह एक ऐसा विकल्प जिसे SP समूह स्वीकार करने से हिचकिचा रहा है।
दूसरा विकल्प के तहत SP समूह की हिस्सेदारी खरीदने करने के लिए बाहरी खरीदारों को आमंत्रित करना है। हालांकि, स्पष्ट एक्जिट रूट के बिना ऐसे निवेशकों को ढूंढना मुश्किल साबित हो सकता है।
वर्तमान नियम के तहत टाटा ट्रस्ट जैसे शेयरधारक मुनाफे कमाने वाली कंपनियों में हिस्सेदारी नहीं रख सकते, क्योंकि इससे उनके परोपकारी उद्देश्य कमज़ोर हो जाते। ट्रस्ट यह भी चाहते हैं कि टाटा संस लिस्ट न हो। इससे संभावित खरीदारों की संख्या और कम हो जाएगी।
सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि टाटा समूह के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन और एसपी समूह के हेड शापूर मिस्त्री के बीच मुलाकात हुई थी। लेकिन उसके बाद से कोई खास प्रगति नहीं हुई है। टाटा संस और एसपी समूह को भेजे गए ईमेल का इस लेख के प्रकाशित होने तक कोई जवाब नहीं मिला है।
टाटा संस से बाहर निकलने से एसपी समूह के वित्तीय दबाव को कम करने में काफी मदद मिलेगी। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबित एसपी समूह ने हाल ही में ग्लोबल अल्टरनेटिव असेट इन्वेस्टर्स एक कंसोर्सियम के साथ 3.2 अरब डॉलर का लोन रिफाइनेंसिंग करार किया है।
Tata–SP वार्ता भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा टाटा संस को लिस्ट करने के निर्देश की पृष्ठभूमि में हो रही है। हालांकि बाजार में अटकलें लगाई जा रही हैं कि आरबीआई टाटा संस को अनिवार्य लिस्टिंग की शर्त से छूट दे सकता है, लेकिन इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
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