प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटर को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. जानकारी सामने आई है कि इन स्मार्ट मीटर्स का निर्माण सऊदी अरब की एक कंपनी कर रही है, जिसमें पाकिस्तान के इंजीनियर भी काम कर रहे हैं. एक कंसल्टेंट फर्म ने इससे साइबर सुरक्षा को खतरे की आशंका जताई है.
सूत्रों की मानें तो इंडिया स्मार्ट ग्रिड फोरम ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर आशंका जताई है कि यदि इन मीटरों में विदेशी कर्मचारियों की भागीदारी है, तो साइबर अटैक या डेटा लीक का खतरा बढ़ सकता है.
मामले की जांच जारी
हालांकि मध्य प्रदेश बिजली विभाग का कहना है कि मामले में जांच की जा रही है, जो भी प्रक्रिया हुई है टेंडर के हिसाब से हुई है. फिर भी मामले में जांच की जा रही है.
मध्य प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने का ठेका सऊदी अरब की कंपनी को मिला है. जानकारी के मुताबिक, दुबई बेस्ड अलफनार को यह प्रोजेक्ट सौंपा गया है, जिसने इंस्टॉलेशन की जिम्मेदारी Esyasoft Technologies Pvt. Ltd. को दी है. यह बेंगलुरु बेस्ड कंपनी है, जिसने हाल ही में अपना मुख्यालय दुबई में शिफ्ट किया है. अब तक 16 जिलों में लगभग तीन लाख से कुछ अधिक मीटर लग चुके हैं.
कांग्रेस ने किया विरोध
इस मामले में बीजेपी कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं. कांग्रेस ने इसका विरोध जताते हुए बिजली घर पर प्रदर्शन भी किया. कांग्रेस का कहना है कि एक तरफ बीजेपी सरकार राष्ट्रवादी बनती है, दूसरी तरफ पाकिस्तान के अधिकारियों कर्मचारियों के होने के बावजूद कंपनी को ठेका दिया गया. यह दोहरा चरित्र है. कांग्रेस ने इस पूरे मामले की जांच की मांग की है.
बीजेपी बोली- भ्रम फैला रही कांग्रेस
वहीं इस मामले में बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस भ्रम फैला रही है, चीन से चंदा लेने वाली कांग्रेस राष्ट्रवाद की बातें कर रही है. किसी पाकिस्तानी कंपनी को स्मार्ट मीटर का टेंडर नहीं दिया गया है. मध्य प्रदेश में स्मार्ट मीटर सिर्फ आम लोगों की सुविधा के लिए लगाए गए हैं.
पहले मेट्रो निर्माण में तुर्की की कंपनी पर हुआ था हंगामा
इससे पहले भी मेट्रो के निर्माण में तुर्की की कंपनी की शामिल होने को लेकर हंगामा खड़ा हुआ था. हालांकि उसे मामले में भी कोई जांच सामने नहीं आई. अब एक बार फिर स्मार्ट मीटर में पाकिस्तानी कर्मचारियों अधिकारियों की मिली भगत की जानकारी सामने आने से हंगामा खड़ा हो गया है.
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