क्या शंख बजाने से कम हो जाते हैं स्लीप एपनिया के लक्षण? स्टडी में सामने आया सच

आज की बिजी और तेजी से भागती-दौड़ती लाइफस्टाइल के कारण लोगों को कई बीमारियां हो रही हैं. इन्हीं में से है नींद से जुड़ी एक बीमारी स्लीप एपनिया. यह एक ऐसा गंभीर स्लीपिंग डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति की नींद के दौरान बार-बार सांस रुक जाती है या ब्लॉक्ड एयरवेज हो जाता है. इस दौरान मरीज को ताजी हवा के लिए जागना पड़ता है, जिससे ना सिर्फ नींद खराब होती है बल्कि दिन में थकान, चिड़चिड़ापन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ जाती हैं.

अब तक इसका इलाज मुख्य रूप से CPAP मशीन से किया जाता रहा है, जो सोते वक्त मरीज को नाक-मुंह पर मास्क लगाकर दबाव वाली हवा पहुंचाती है. हालांकि, यह तरीका हर किसी के लिए अफोर्डेबल नहीं होता है. इसी के चलते वैज्ञानिक और डॉक्टर नए-नए इलाज पर काम कर रहे हैं. इसी बीच अब एक नई स्टडी में सामने आया है कि शंख बजाना जो भारतीय परंपरा में धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक माना जाता है वह्र स्लीप एपनिया के लक्षणों को कम करने में मददगार हो सकता है. तो आइए, जानते हैं कि क्या शंख बजाने से सच में स्लीप एपनिया के लक्षण कम हो जाते हैं.

क्या है स्लीप एपनिया

स्लीप एपनिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें गले की मांसपेशियां नींद के दौरान बहुत ज्यादा ढीली हो जाती हैं, इससे जीभ, पैलेट और टॉन्सिल जैसे टिशू पीछे की तरफ गिरते हैं और सांस की नली को पूरी तरह से बंद कर देते हैं. इस रुकावट की वजह से व्यक्ति को बार-बार सांस लेने में दिक्कत होती है और उसे बार-बार नींद से जागना पड़ता है. जिसके कारण दिन में थकान, चिड़चिड़ापन और कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाती हैं. 

क्या शंख बजाने से स्लीप एपनिया के लक्षण कम हो जाते हैं?

स्टडी के अनुसार, शंख बजाना फेफड़ों और गले की मांसपेशियों को एक्टिव करता है और स्लीप एपनिया के लक्षणों को कम कर सकता है. इस स्टडी में 30 मरीजों पर रिसर्च की गई, जिसमें पता चला कि शंख बजाने वाले लोगों में नींद की क्वालिटी में 34 प्रतिशत तक सुधार हुआ, वहीं दिन में नींद आना कम हो गया, ऑक्सीजन लेवल बेहतर हुआ, हाइपोक्सिया इंडेक्स  में 4.4 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. शंख बजाते समय व्यक्ति को गहराई से सांस लेनी होती है, जिससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है. शंख बजाने में ज्यादा दबाव लगता है, जिससे गले और जीभ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और नींद में एयरवेज को ब्लॉक नहीं करतीं हैं. इसके अलावा शंख से जनरेट होने वाली वाइब्रेशन मांसपेशियों को एक्टिव करती है और सांस लेने के प्रोसेस को बेहतर बनाती है. 

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