अष्ट भैरव शिव के 8 शक्तिशाली रौद्र रूप, जो देंगे सुरक्षा और सफलता का आशीर्वाद!

Ashta Bhairava: भगवान शिव के आठ अलग-अलग रक्षक और रौद्र स्वरूप का नाम अष्ट भैरव है. शिवजी के ये आठों भैरव अलग-अलग दिशाओं के स्वामी और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं. शिव पुराण और भैरव तंत्र में इसका वर्णन देखने को मिलता है.

इनकी पूजा करने से व्यक्ति को भय, रोग, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है. इसके साथ ही जीवन में अपार सफलता और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

अष्ट भैरव के नाम, दिशा और महत्व

असितांग भैरव

  • असितांग भैरव पूर्व दिशा के स्वामी है, जिनका स्वरूप नीले रंग का हाथों में खप्पर और त्रिशूल धारण किया है. इनकी पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन में साहस और सौर्य बढ़ता है.

रुरु भैरव

  • रुरु भैरव दक्षिण दिशा के स्वामी हैं, ये ज्ञान और विद्या के दाता, वीणा और त्रिशूल धारण करते हैं. इनकी पूजा करने से शिक्षा और कला के क्षेत्र में सफलता मिलती है.

चंड भैरव

  • चंड भैरव दक्षिण दिशा का प्रतिनिधित्व करते हैं. जिन्हें युद्ध और विजय का देवता कहा जाता है. इनकी पूजा करने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है.

क्रोध भैरव

  • क्रोध भैरव दक्षिण-पश्चिम दिशा के स्वामी है, क्रोध भैरव की पूजा अर्चना करने से रोग और बाधाओं से मुक्ति मिलती है.

उन्मत भैरव

  • उन्मत भैरव पश्चिम दिशा के स्वामी है, जिनका संबंध भक्ति और वैराग्य से है. इनका ध्यान करने से मानसिक शांति और आध्यात्म में उन्नति मिलती है.

कपाल भैरव

  • कपाल भैरव उत्तर-पश्चिम दिशा के स्वामी है, जो समय और मृत्यु के अधिपति हैं. इनकी पूजा करने से आयु में वृद्धि और समय पर सभी तरह के कार्य सिद्ध होते हैं.

भीषण भैरव

  • भीषण भैरव उत्तर दिशा के स्वामी है, जो भय और संकट को दूर करते हैं.

संहार भैरव

  • उत्तर-पूर्व दिशा के रक्षक संहार भैरव हैं. संहार भैरव सृष्टि के अंत और पुनर्निर्माण का देवता माना जाता है.

अष्ट भैरव की पूजा विधि

  • सुबह स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें.
  • इसके बाद उत्तर या पूर्व दिशा में मुख करके बैठें.
  • भैरव जी की मूर्ति या प्रतिमा के सामने काले या लाल फूल, अक्षत, धूप-दीप अर्पित करें.
  • भैरव जी को तेल का दीपक या नारियल अर्पित करें.
  • काले तिल, उड़द और नारियल का भोग लगाएं.
  • कुत्ते को आटा, रोटी या मिठाई खिलाने से भैरव जी प्रसन्न होते हैं.

अष्ट भैरव मंत्र

  • सर्वसिद्धि हेतु मूल मंत्रॐ अष्ट भैरवाय नमः`

व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए 

  • ॐ कालभैरवाय नमः 108 बार जप करने से विशेष फल मिलता है.

ज्योतिषीय महत्व

  • जिन लोगों की कुंडली में शनि, राहु या केतु का दोष हैं, उन्हें अष्ट भैरव का पूजन करना चाहिए.
  • काल सर्प दोष, पितृ दोष और नकारात्मक ग्रह के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए भैरव साधना करना लाभकारी होता है.
  • अष्ट भैरव की साधना करने से व्यापार और करियर में आ रही बाधाएं दूर होती है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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