Raksha Bandhan 2025: रक्षा बंधन पर 95 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग! जानें शुभ मुहूर्त और भद्रा का साया

Raksha Bandhan 2025: इस साल रक्षाबंधन के अवसर पर भद्रा का साया नहीं रहेगा. 9 अगस्त को पूरे दिन रक्षाबंधन पर्व मनाया जा सकेगा. इस बार रक्षाबंधन शनिवार को है, इसी दिन श्रवण नक्षत्र भी रहेगा। श्रवण नक्षत्र के स्वामी भगवान विष्णु हैं और वहीं शनिवार के स्वामी शनिदेव हैं.

इसलिए रक्षाबंधन पर शिव जी, विष्णु जी के साथ ही शनिदेव की पूजा का भी शुभ योग बन रहा है. बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि रक्षाबंधन शनिवार 9 अगस्त को है.

खास बात यह है कि इस बार रक्षाबंधन पर भद्राकाल का साया नहीं रहेगा, यानी बहनें सुबह से लेकर शाम तक कभी भी अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकेंगी. पिछले तीन वर्षों से भद्रा की वजह से राखी बांधने में देरी होती रही थी, लेकिन इस बार पूरा दिन शुभ और मंगलकारी रहेगा.

दो दिन रहेगी सावन पूर्णिमा 
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 8 और 9 अगस्त को दो दिन, सावन पूर्णिमा रहेगी. 8 तारीख को सूर्योदय के समय चतुर्दशी तिथि रहेगी, इसके बाद दोपहर 1.35 बजे से सावन पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी, जो कि अगले दिन यानी 9 अगस्त की दोपहर 1.21 बजे तक रहेगी.

जबकि 9 अगस्त को सूर्योदय पूर्णिमा तिथि में होगा, जिस वजह से इस दिन रक्षाबंधन मनाया जाएगा. इसी दिन नदी स्नान, दान-पुण्य और पूर्णिमा से जुड़े अन्य शुभ काम किए जा सकेंगे. 8 अगस्त को सिर्फ व्रत की पूर्णिमा रहेगी, जो लोग पूर्णिमा व्रत करते हैं,  वे इस दिन व्रत कर सकते हैं. 

95 वर्ष बाद बना दुर्लभ महासंयोग
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन पूर्णिमा को 95 वर्ष बाद दुर्लभ महासंयोग बन रहा है. यह संयोग वर्ष 1930 के समान है. इस नक्षत्र, पूर्णिमा संयोग में राखी बांधने का समय लगभग समान है. इन योग में लक्ष्मी नारायणजी की पूजा करने और राखी बांधने से दोगुना फल मिलेगा.

वैदिक पंचांग के अनुसार, आठ अगस्त को दोपहर 2:12 मिनट पर सावन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी. वहीं नौ अगस्त को दोपहर 1:21 मिनट पर पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी. हालांकि आठ अगस्त को भद्रा दोपहर 2:12 मिनट से नौ अगस्त को देर रात 1:52 मिनट तक है. जिसमें नौ अगस्त के दिन भद्रा का कोई साया नही है.

रक्षाबंधन पर नहीं रहेगा भद्रा का साया 
किसी भी मांगलिक या शुभ काम को करने से पहले भद्रा काल अवश्य देखा जाता है, जिससे उस काम में किसी भी प्रकार के अशुभ परिणाम सामने न आए. ऐसे में रक्षाबंधन में भद्रा का जरूर ध्यान रखा जाता है. इस साल बहनें बिना कोई विचार किए भाइयों को राखी बांध सकती है.

पंचांग के अनुसार, इस साल भद्रा आठ अगस्त को दोपहर 2:12 मिनट से आरंभ हो रहा है, जो नौ अगस्त को तड़के 1:52 मिनट तक रहेगा. राखी बांधने का शुभ मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन सुबह 5:35 मिनट से दोपहर 1:21 मिनट तक राखी बांधने का सबसे अच्छा मुहूर्त है.

रक्षाबंधन तिथि
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि उदया तिथि की मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन शनिवार 9 अगस्त को मनाया जाएगा. शनिवार, 09 अगस्त 2025 को भद्रा नहीं है, अतः पूरा दिन शुद्ध है। रक्षाबन्धन पर्व श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को भद्रा रहित तीन मुहूर्त या उससे अधिक व्यापनी पूर्णिमा को अपराह्न काल में मनाया जाता है. इस वर्ष रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा का साया नहीं होगा। 

पूर्णिमायां भद्रारहितायां त्रिमुहूर्त्ताधिकोदय व्यापिन्यामपराह्न प्रदोषे वा कार्यम् – धर्मसिन्धु

  • रक्षा बंधन : – शनिवार 9 अगस्त 2025
  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: – 8 अगस्त 2025 दोपहर 2:12 मिनट से शुरू
  • पूर्णिमा तिथि समापन: – 9 अगस्त 2025 दोपहर 1:21 मिनट तक

रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त

  • शुभ का चौघड़िया प्रातः 07:35 से प्रातः 09:15 तक रहेगा।
  • चर-लाभ-अमृत का चौघड़िया दोपहर 12:32 से सायं 05:26 तक 
  • अभिजित दोपहर 12:08 से दोपहर 12:56 तक

सौभाग्य योग
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि रक्षा बंधन के दिन सौभाग्य योग का संयोग बन रहा है. सौभाग्य योग का समापन 10 अगस्त को देर रात 2:15 मिनट पर होगा. इसके बाद शोभन योग का निर्माण होगा.

वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग सुबह 5:47 मिनट से लेकर दोपहर 2:23 मिनट तक का है. इसके साथ ही श्रवण नक्षत्र मुहूर्त भी दोपहर 2:23 मिनट तक का है. इन योग में राखी का त्योहार मनाया जाएगा.

साल 1930 का पंचांग
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैदिक पंचांग गणना के अनुसार, साल 1930 में शनिवार नौ अगस्त के ही दिन राखी का त्योहार मनाया गया था। इस दिन पूर्णिमा का संयोग शाम चार बजकर 27 मिनट तक था.

वहीं पूर्णिमा तिथि की शुरुआत दोपहर दो बजकर सात मिनट पर हुई थी। इसी प्रकार महज पांच मिनट का ही अतंर पूर्णिमा तिथि में था. सौभाग्य योग का संयोग 10 अगस्त को सुबह पांच बजकर 21 मिनट पर हुआ था.

श्रवण नक्षत्र शाम चार बजकर 41 मिनट तक था. वहीं बव और बालव करण के संयोग थे. कुल मिलाकर कहें तो 95 साल बाद राखी का त्योहार समान दिन और समय, नक्षत्र और योग में मनाया जाएगा.

महालक्ष्मी के साथ विष्णु जी का अभिषेक
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु का अभिषेक करने की परंपरा है. इस दिन महालक्ष्मी के साथ विष्णु जी का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करना चाहिए. दूध दक्षिणावर्ती शंख में भरें और फिर भगवान की प्रतिमाओं पर अर्पित करें.

दूध के बाद जल चढ़ाकर, हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें. तुलसी के साथ मिठाई का भी भोग लगाकर, ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप कर, धूप-दीप जलाकर आरती करें. वहीं शनिवार और पूर्णिमा के योग में शनिदेव को सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए.

शनिदेव को काले तिल, नीले फूल, काली उड़द चढ़ाकर, ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करें. जरूरतमंद लोगों को काले तिल से बना खाना, काला कंबल, जूते-चप्पल और छाते का दान भी करें.

अपने इष्टदेव को चढ़ाएं रक्षासूत्र
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैसे तो रक्षाबंधन भाई-बहन का त्योहार माना जाता है, लेकिन इस दिन अपने इष्टदेव जैसे भगवान शिव, श्रीकृष्ण, श्रीहरि, श्रीराम, हनुमान, देवी दुर्गा, महालक्ष्मी आदि को भी रक्षासूत्र चढ़ाना चाहिए. विधिवत पूजा करें और सुखी-समृद्ध जीवन की कामना से भगवान को रक्षासूत्र अर्पित करें.

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