आज एमएस स्वामीनाथन की जयंती के अवसर पर पीएम मोदी ने उनको समर्पित एक स्मारक सिक्का और शताब्दी स्मारक डाक टिकट जारी किया है। वो एक मशहूर कृषि वैज्ञानिक माने जाते हैं। आइए जान लेते हैं कौन थे एमएस स्वामीनाथन, जिन्हें पीएम मोदी ने मां भारती का सच्चा हीरा बताया है। इन्हें फादर ऑफ ग्रीन रेवोल्यूशन भी बोलते थे। वो भारत माता के सच्चे सपूत थे और एक महान वैज्ञानिक भी थे।
किसानों को खेती के आधुनिक तरीके बताए
पीएम मोदी ने बताया कि एमएस स्वामीनाथन ने न सिर्फ विज्ञान की खोज की बल्कि विस्तार का भी जरिए बनें। उन्होंने अपनी रिसर्च के जरिए किसानों को खेती करने के लिए मॉडर्न मेथड बताकर उन्हें प्रेरित किया। आज भी उनकी पॉलिसी और कृषि विज्ञान में भी देखे जाते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि हरित क्रांति के जनक माने जाने वाले डॉ. स्वामीनाथन के अपना योगदान केवल कृषि को नहीं दिया था, बल्कि उन्होंने बायोडायवर्सिटी और बायो-हैप्पीनेस जैसे विचारों के जरिए लोकल कम्युनिटीज को भी सशक्त बनाया। बायोडायवर्सिटी के जरिए आम लोगों की लाइफ में पॉजिटिव चेंज लाया जा सकता है।
छोटे किसानों को आत्मबल मिला
पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने किसानों की ताकत को देश की ताकत और प्रगति का आधार माना है। इसलिए बीते सालों में जो पॉलिसी बनी, उनमें सिर्फ मदद नहीं थी, बल्कि किसानों के अंदर भरोसा बढ़ाने का प्रयास भी था। पीएम किसान सम्मान निधि से मिलने वाली मदद ने छोटे किसानों को आत्मबल दिया है।
कौन थे एमएस स्वामीनाथन ?
एमएस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु में एक ब्राह्मण फैमिली में हुआ था।। उन्होंने भारत में हरित क्रांति की शुरुआत की थी, वो एक महान एग्रीकल्चर साइंटिस्ट थे। एमएस स्वामीनाथ ने भारत को एग्रीकल्चर फील्ड में आत्मनिर्भर बनाने में अपना बड़ा योगदान दिया था। उन्होंने गेहूं और चावल की ऐसी अनोखी वेरायटी तैयार की थी, जिससे प्रोडक्शन में अच्छा इजाफा हुआ, बल्कि सूखे से बचने में भी मदद मिली। 1960 के दशक में भारत समेत पड़ोसी देशों की स्थिति को सुधारने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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