अंतरिक्ष में प्रेग्नेंसी और बच्चे का जन्म संभव है क्या? यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स की रिसर्च में बड़ा खुलासा

Is Pregnancy Possible in Space: मंगल ग्रह पर मानव मिशन भेजने की तैयारी चल रही है। चंद्रमा और मंगल पर इंसानों को बसाने का सपना देखा जा रहा है। इस बीच एक सवाल अंतरिक्ष में फिजिकल रिलेशन, प्रेग्नेंसी, डिलीवरी और बच्चे की देखभाल को लेकर उठा तो वैज्ञानिकों ने रिसर्च शुरू की। ऐसी ही एक रिसर्च यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के प्रोफेसर एमेरिटस ऑफ कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी, अरुण विवियन होल्डन ने भी की है।

उनकी रिसर्च का टॉपिक अंतरिक्ष में गर्भावस्था (Pregnancy in Space) है और उनकी रिसर्च रिपोर्ट The Conversation (22 जुलाई 2025,), Science Alert (28 जुलाई 2025,) और Experimental Physiology (27 जून 2025) को प्रकाशित हुई। रिसर्च में हुए खुलासों के बारे में सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है। आइए जानते हैं कि प्रोफेसर होल्डन की रिसर्च क्या कहती है?

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प्रेग्नेंसी संभव, लेकिन प्रसव नहीं

बता दें कि प्रोफेसर होल्डन की रिसर्च अंतरिक्ष यात्रा के दौरान गर्भावस्था, अंतरिक्ष में बच्चे के जन्म के दौरान होने वाले जोखिमों पर केंद्रित है। विशेष रूप से माइक्रोग्रैविटी (Microgravity) और गैलेक्टिक कॉस्मिक रेज (Galactic Cosmic Rays) के प्रभावों पर पर केंद्रित हैं और उनकी रिसर्च में कई खुलासे भी हुए हैं। रिसर्च के अनुसार, गर्भावस्था की दुनिया में फर्टिलाइजेशन, गर्भाशय में भ्रूण का प्रत्यारोपण और भ्रूण का विकास जैसी कई टेक्नोलॉजी धरती पर विकसित हो चुकी हैं, लेकिन अंतरिक्ष में जाते समय गर्भाधान संभव है, लेकिन प्रसव और बच्चे की देखभाल अंतरिक्ष में संभव नहीं है।

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माइक्रोग्रैविटी ने प्रसव संभव नहीं

रिसर्च के अनुसार, मां की कोख में भी माइक्रोग्रैविटी होती है और बच्चा गर्भाशय में भरे लिक्विड में तैरता रहता है, लेकिन अंतरिक्ष की माइक्रोग्रैविटी में शारीरिक संबंध बनाना, बच्चे का जन्म होना और नवजात की जन्म मुश्किल है। अंतरिक्ष की माइक्रोग्रैविटी में फर्टिलाइजेशन संभव नहीं हो सकता है, लेकिन एक बार भ्रूण गर्भाशय में प्रत्यारोपित हो जाए तो अंतरिक्ष में महिला यात्री गर्भावस्था में भी रह सकती हैं, लेकिन वहां प्रसव और नवजात शिशु की देखभाल काफी मुश्किल होगी। अंतरिक्ष में तरल पदार्थ और मानव शरीर स्थिर नहीं रहता है, जिससे प्रसव और नवजात को दूध पिलाना मुश्किल हो सकता है।

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कॉस्मिक रेडिएशन से खतरा होगा

रिसर्च के अनुसार, धरती का वायुमंडल और मैग्नेटिक ग्रैविटी अंतरिक्ष की हाई एनर्जी वाली कॉस्मिक किरणों से भ्रूण और नवजात की रक्षा करते हैं, लेकिन अंतरिक्ष में यह सुरक्षा नहीं मिलेगी। ऐसे में अंतरिक्ष में कॉस्मिक किरणें भ्रूण के लिए खतरा बन सकती है और अगर अंतरिक्ष में बच्चे का प्रसव हुआ तो या नवजात की मौत हो जाएगी या वह विकलांग पैदा होगा। गर्भावस्था के पहले महीने में भ्रूण की कोशिकाएं तेजी से विभाजित होती हैं, लेकिए एक कॉस्मिक किरण का भ्रूण के लिए घातक साबित हो सकती है। महिला का गर्भपात भी हो सकता है। 3 महीने के बाद जब भ्रूण और गर्भाशय का आकार बढ़ता है तो कॉस्मिक किरणें भ्रूण की मांसपेशियों पर असर डाल सकती हैं।

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मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होगा

रिसर्च के अनुसार, कॉस्मिक किरणों के असर से समय से पहले प्रसव होने की संभावना बढ़ती है, जो नवजात के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। अंतरिक्ष में जन्मा नवजात माइक्रोग्रैविटी में विकसित होगा, जिससे उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति प्रभावित होगी। नवजात सिर उठाने, रेंगने और चलने में सक्षम नहीं होगा। कॉस्मिक किरणें नवजात के मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे मेमोरी लॉस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए अंतरिक्ष में गर्भावस्था संभव है, लेकिन खतरनाक है। कॉस्मिक रेडिएशन से सुरक्षा, समय से पहले प्रसव को रोकना और माइक्रोग्रैविटी में नवजात के विकास को सुनिश्चित करना अभी तक संभव नहीं है।

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चूहों के भ्रूण पर किया गया प्रयोग

बता दें कि प्रोफेसर होल्डन की रिसर्च मंगल ग्रह जैसे लंबी अवधि वाले स्पेस मिशन के लिए महत्वपूर्ण है, जहां गर्भावस्था की संभावना बढ़ सकती है। उनकी रिसर्च चूहों के भ्रूणों पर किए गए प्रयोगों पर आधारित है, जिसमें निष्कर्ष निकला कि माइक्रोग्रैविटी में भ्रूण का प्रारंभिक विकास संभव है, लेकिन पूर्ण गर्भावस्था और जन्म संभव नहीं है। अंतरिक्ष में मानव गर्भावस्था पर कोई प्रत्यक्ष अध्ययन भी आज तक नहीं किया गया है। वर्तमान रिसर्च चूहों और अन्य जानवरों पर आधारित है। चूहों के भ्रूण पर की गई रिसर्च New Scientist और Forbes में 30 अक्टूबर 2023 को प्रकाशित हुई थी।

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