जापान की तकदीर बदल देने वाले दो नाम ‘लिटिल बॉय’ और ‘फैट मैन’ आखिर है कौन?

Hiroshima Day: दूसरे विश्व युद्ध में जब अमेरिका ने जापान पर परमाणु हमला किया था तो दो नाम खूब चर्चा में आए थे लिटिल बॉय और फैट मैन। आज हिरोशिमा दिवस है, ठीक 80 साल पहले आज ही के दिन यानी 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा पर परमाणु हमला हुआ था। इतिहास के पन्नों पर ये सिर्फ बम नहीं, बल्कि मानव जीवन पर मंडराने वाला सबसे बड़ा खतरा है। लिटिल बॉय और फैट मैन आखिर ये दोनों कौन थे? कैसे इन्होंने एक पूरे देश की किस्मत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की सोच को झकझोर कर रख दिया था? आइए जानते हैं इन दोनों के बारे में।

तबाही का प्रतीक

6 और 9 अगस्त 1945, ये 2 दिन मानवता के इतिहास में दर्द और तबाही का प्रतीक बन गए हैं। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए दो परमाणु बमों का नाम था- ‘लिटिल बॉय’ और फैट मैन’। दरअसल, ये दोनों कोई इंसान नहीं बल्कि न्यूक्लियर डिफ्यूजर्स थें जिनके कोडनेम लिटिल बॉय और फैट मैन था। ये ऐसे हथियार थे जिन्होंने एक पूरे देश की किस्मत को अगले कई सालों के लिए बदल कर रख दिया था।

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लिटिल बॉय क्या है?

यह हिरोशिमा पर गिराया गया पहला परमाणु बम था, जो 6 अगस्त की सुबह गिरा था। अमेरिका के बी-29 बॉम्बर विमान ‘Enola Gay’ ने जापान के हिरोशिमा शहर पर जो बम गिराया, उसका नाम लिटिल बॉय था। यह बम यूरेनियम-235 से बना था और इसका वजन लगभग 4 टन के करीब था। इस बम से करीब 70,000 लोगों की मौत तुरंत हो गई थी और हजारों लोग बाद में जलन, कैंसर और रेडिएशन से मर गए थे। इस न्यूक्लियर अटैक से शहर का लगभग 70% हिस्सा पूरी तरह से तबाह हो गया था जिसमें स्कूल, अस्पताल, मंदिर और बाजार भी थे।

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फैट मैन क्या है?

हिरोशिमा हमले के 3 दिन बाद यानी 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने दूसरा परमाणु बम जापान पर गिराया था, जो नागासाकी शहर पर गिरा था। इस बम का नाम फैट मैन था और यह प्लूटोनियम-239 पर आधारित था। इस बम से ऐसी तबाही हुई थी कि उस एक पल में ही करीब 40,000 लोगों की मौत के घाट उतर गए थे और 25,000 से ज्यादा लोग बाद में घायल या विकलांग हो गए थे। नागासाकी पहाड़ी इलाका था जिस कारण तबाही कुछ हद तक सीमित रही लेकिन रेडिएशन और आग की लपटों ने पूरे शहर की काया पलट दी थी।

इन नामों के पीछे क्या था मकसद?

दरअसल, ये दोनों कोडनेम बॉम्ब की डिजाइनिंग पर आधारित थे। लिटिल बॉय का आकार लंबा और पतला था, जबकि फैट मैन गोल-मोटा और छोटा था। अमेरिका अचानक हमलों से जापान पर साइकोलॉजिक्ली दबाव डालना चाहता था ताकि वो बिना शर्त के ही आत्मसमर्पण कर दे।

कैसे बदल गई जापान की किस्मत?

इन दोनों परमाणु हमलों ने न केवल जापान को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया बल्कि देश के भविष्य को भी गर्त में डाल दिया था। इस युद्ध का अंत 15 अगस्त 1945 को हुआ था, जब जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था। इससे द्वितीय विश्व युद्ध का अंत भी हुआ था। हालांकि, जापान ने एक नई शुरुआत की और युद्ध छोड़कर शिक्षा, तकनीक, शांति और विकास की राह अपनाई। आज जापान दुनिया के सबसे हाई टेक देशों में से एक है।

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