नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने रूसी तेल खरीद के कारण भारत पर अगले 24 घंटे में टैरिफ लगाने की धमकी दी। इसके बाद रूस ने अमेरिका को करारा जवाब देते हुये कहा कि वह उसकी धमकियों से डरने वाला नहीं है। अमेरिका की हालिया धमकी के बारे में बोलते हुए क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव (Spokesman Dmitry Peskov) ने कहा कि दूसरे देशों को रूस के साथ व्यापार बंद करने के लिए मजबूर करने की अमेरिका की ये कोशिश पूरी तरह से गलत है। हर देश को अपना साझीदार चुनने की स्वतंत्रता है। रूस ने कहा कि किसी को भी टैरिफ का डर दिखाकर उसकी संप्रभुता पर हमला करना किसी भी तरह से सही नहीं है और रूस के व्यापारिक साझेदारों पर इस तरह के दबाव को धमकी के रूप में मॉस्को देखेगा।
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रूस ने कहा कि हम ऐसे बयान सुन रहे हैं जो वास्तव में धमकियां हैं। कई देशों को रूस के साथ व्यापारिक संबंध तोड़ने के लिए मजबूर करना पूरी तरह से अवैध जिसका हम पुरजोर विरोध करते हैं। रूस का कहना है, संप्रभु देशों को अपने व्यापारिक साझेदार, व्यापार और आर्थिक सहयोग के लिए साझेदार चुनने का अधिकार होना चाहिए और हैं भी और उन्हें अपने लिए ऐसे व्यापार और आर्थिक सहयोग के तरीके चुनने का अधिकार है जो किसी विशेष देश के हित में हों।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी दिखा चुका है अमेरिका को आईना
Statement by Official Spokesperson⬇️
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इससे पहले ट्रंप की टैरिफ धमकियों को लेकर भारत सरकार की ओर से पलटवार किया गया था। विदेश मंत्रालय ने अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा भारत की आलोचना पर कड़ा जवाब देते हुए कहा है कि रूसी तेल खरीदने को लेकर जो आलोचना की जा रही है वो अनुचित और बेबुनियाद है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि, ‘भारत पर निशाना साधना न सिर्फ गलत है, बल्कि खुद इन देशों की कथनी और करनी में फर्क भी उजागर करता है। उन्होंने कहा कि भारत को रूस से अधिक तेल आयात करना पड़ा, क्योंकि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक सप्लायर्स ने अपनी आपूर्ति यूरोप की तरफ मोड़ दी थी। उस समय अमेरिका ने खुद भारत को ऐसे कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया था, ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार स्थिर रह सके। MEA की ओर से तीखे शब्दों में ये भी कहा गया कि बड़ी हैरानी की बात है जो देश भारत की आलोचना कर रहे हैं, वही खुद भी रूस से व्यापार कर रहे हैं, जबकि उनके लिए यह कोई राष्ट्रीय अनिवार्यता नहीं है।
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