नई दिल्ली। लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस जारी है। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने लोकसभा में कहा, आज सवाल है- देश की पराक्रमी सेना ने तो अपना काम किया, लेकिन क्या सत्ता में बैठे लोगों ने अपना काम किया? लोकतंत्र में अगर सत्ता पक्ष चूक करता है, तो विपक्ष की जिम्मेदारी है कि उसे देश के सामने रखा जाए। जब पहलगाम में आतंकी हमले के बाद सर्वदलीय बैठक रखी गई, तो उसमें प्रधानमंत्री ही नहीं आए। अगर PM दिन में व्यस्त थे, तो रात में बैठक रखी जा सकती थी। बैठक में हम सभी विपक्ष के नेता आते और पूरी दुनिया में लोकतंत्र का संदेश जाता कि हम एक हैं। लेकिन आपने वो मौका गंवा दिया।
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उन्होंने आगे कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में हमारी सेना ने अपना पराक्रम दिखाया और जब हम पाकिस्तान पर हावी थे, तो सीजफायर कर दिया गया। देश चाहता था कि पाकिस्तान को वैसा ही जवाब दिया जाए, जैसा 1971 में इंदिरा गांधी जी ने दिया था। पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे। जब पाकिस्तान घुटनों पर था, तो आपसे पहले अमेरिका से किए गए एक ट्वीट ने युद्धविराम की घोषणा कर दी। ऐसे में आपको देश को बताना चाहिए कि सीजफायर की क्या शर्तें थीं? वहीं, आपसे एक और चूक हुई जब विदेश मंत्री जी ने पाकिस्तान को फोन कर कहा कि हम सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाएंगे। आपने ऐसा कहते ही पाकिस्तान की आर्मी और सरकार को क्लीन चिट दे दी- जबकि हम सभी जानते हैं कि वे सभी एक हैं।
कांग्रेस सांसद ने आगे कहा, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने 28 बार कहा- मैंने व्यापार की धमकी देकर सीजफायर करवाया। ट्रंप यहीं नहीं रुके, उन्होंने भारत के जहाज गिरने और कश्मीर मुद्दे तक का जिक्र किया, लेकिन PM मोदी ने एक बार भी उनकी बातों का खंडन नहीं किया।अमेरिका, भारत के साथ पाकिस्तान की बराबरी नहीं कर सकता। इसलिए सरकार को एक रास्ता चुनना होगा- या तो हाथ मिलाओ या आंख दिखाओ। सरकार या तो डोनाल्ड ट्रंप को जवाब देकर उनका मुंह बंद करे या फिर हिंदुस्तान में अमेरिका के McDonald’s बंद करवाए। ये दोनों चीजें साथ-साथ नहीं चल सकतीं।
साथ ही कहा, विदेश मंत्री का काम स्कूल, कॉलेज या सड़क बनाना नहीं, दुनिया में अपने दोस्त मुल्कों की संख्या बढ़ाना होता है। मोदी सरकार की 11 साल की विदेश नीति की सच्चाई तब सामने आ गई, जब पाकिस्तान के साथ टकराव की स्थिति पैदा हुई। कितने देश आपके साथ खड़े हुए? एक देश का नाम बताएं, जिसने आतंकी हमले की निंदा की? वहीं, दूसरी तरफ पाकिस्तान के साथ चीन, तुर्की, अजरबैजान, मलेशिया जैसे देश आ गए, लेकिन आपके साथ कोई खड़ा नहीं दिखा। यहां तक कि बहुराष्ट्रीय संस्थाओं ने उस एक महीने में जिस तरीके से पाकिस्तान का समर्थन किया, उसे रोकने में मोदी सरकार असफल रही।
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