प्राचीन शहर वाराणसी में अनेक ऐसे धार्मिक स्थल हैं, जिनका पौराणिक महत्व है. इसी क्रम में बीते जनवरी माह में प्रशासन की सूझबूझ और दो समुदाय के आपसी सहमति के साथ एक प्राचीन मंदिर का ताला खुला था लेकिन हैरानी की बात यह है कि महीनों बाद भी सावन जैसे पवित्र माह में भी यह मंदिर में पूजा पाठ नहीं हो रहा है.
वैसे काशी वालों के बीच भी यह चर्चा का विषय बना हुआ है. वाराणसी के मुस्लिम बाहुल्य इलाके मदनपुरा क्षेत्र का सिद्धेश्वर महादेव मंदिर सावन माह में भी सूना पड़ा है. बीते दिसंबर जनवरी माह में हिंदू संगठन की तरफ से वाराणसी के मदनपुरा क्षेत्र में सालों से बंद प्राचीन सिद्धेश्वर महादेव मंदिर खोलने की मांग की गई थी. इसकी अगुवाई कर रहे थे सनातन रक्षा दल के अजय शर्मा.
यह मंदिर इसलिए भी चर्चा का विषय बना क्योंकि आसपास भारी संख्या में मुस्लिम समुदाय की दुकान और मकान है. हालांकि यह मामला जब प्रशासन तक पहुंचा तो प्रशासन ने भी सूझबूझ दिखाते हुए दोनों पक्षों से बातचीत करके बिना किसी आपत्ती के मंदिर का ताला खुलवा दिया.
मंदिर में पूजा पाठ से दूसरे पक्ष को कोई आपत्ति नहीं
दूसरे पक्ष ने भी इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई और उन्होंने स्पष्ट कहा कि मंदिर में पूजा पाठ होने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. 8 जनवरी 2025 को दोपहर करीब 1.30 बजे सबकी मौजूदगी में मंदिर का ताला खुल गया, जिस दौरान लोगों ने उत्साह और उद्घोष के साथ बाबा के शिवलिंग का अभिषेक किया.
8 जनवरी के बाद से अभी तक मंदिर में शुरू नहीं हुई पूजा
हालांकि उस दौरान खरमास की तिथि थी इसलिए विद्वानों की सलाह पर पुनः बाबा का कपाट बंद करके मंदिर में पूजा की मांग करने वाले लोगों को चाभी सौंप दी गई. जब यह विषय चर्चा में आया तो अन्य हिंदू संगठन के लोग भी इस मामले लेकर सामने आए थे. लेकिन 8 जनवरी के बाद से अभी तक मंदिर में पूजा पाठ शुरू नहीं हो पाया.
खरमास बीतने के बाद सावन में भी पूजा शुरू नहीं
वाराणसी के मदनपुरा क्षेत्र में मिले इस प्राचीन सिद्धेश्वर महादेव मंदिर का विषय पूरे देश में सुर्खियों में था. यह इसलिए भी क्योंकि मदनपुरा क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य व संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है. और मंदिर का ताला खोलने की मांग के बीच बिना किसी आपत्ती के यह मंदिर खुल गया था. माना गया कि काशी को एक और पौराणिक धार्मिक स्थल से जुड़ने का अवसर मिलेगा. लेकिन भगवान शंकर का सबसे प्रिय अवधी सावन माह में भी इस मंदिर में पूजन नहीं हो रहा है जो लोगों के बीच चर्चा का विषय है.
नियमित तौर पर यहां पूजन क्यों नहीं हुआ?
काशी वालों का कहना है कि जब बिना किसी आपत्ति के यह मंदिर खुल गया है तो नियमित तौर पर यहां पूजन क्यों नहीं हुआ. आखिर में ऐसी कौन सी वजह है जो मंदिर में दैनिक पूजा पाठ में बाधा उत्पन्न कर रही है. फिलहाल भगवान भोलेनाथ के प्रति अपार आस्था रखने वाले लोगों को इस बात का इंतजार भी है कि यहां अन्य शिवालियों की तरह पूजा पाठ होता रहें.
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