अमेरिकी पूर्व प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प को क्रोनिक वेनस इनसफीशिएंसी डायग्नोस किया गया है. यह एक ऐसी कंडीशन है जो उनके लेग्स की वेन्स को प्रभावित करती है. यह डायग्नोसिस उनके लेग्स के लोअर पार्ट में स्वेलिंग की रिपोर्ट्स के बाद हुआ, जिसके चलते मेडिकल इवैल्यूएशन किया गया. व्हाइट हाउस ने इस डायग्नोसिस की कन्फर्मेशन देते हुए कहा है कि यह एक कॉमन कंडीशन है. खासकर 70 साल से ज्यादा की एज वाले पर्सन्स में.
क्या है क्रोनिक वेनस इनसफीशिएंसी?
क्रोनिक वेनस इनसफीशिएंसी, सीवीआई एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें आपके हाथ-पैरों की नसें डैमेज या वीक हो जाती हैं. हमारा ब्लड हार्ट तक वापस नसों के जरिए ऊपर की तरफ जाता है. इन नसों में छोटे-छोटे वाल्व होते हैं, जो ब्लड को नीचे की तरफ वापस बहने से रोकते हैं और ग्रेविटी के अगेंस्ट ऊपर धकेलते हैं. सीवीआई होने पर ये वाल्व खराब हो जाते हैं या ठीक से काम नहीं करते. इससे ब्लड पैरों में ही जमा होने लगता है, जिसे ब्लड पूलिंग कहते है. इस ब्लड जमाव के कारण नसों में प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे पैरों में सूजन आ सकती है और दूसरी कॉम्प्लीकेशन्स भी हो सकती हैं.
ये है सीवीआई के लक्षण, इन्हें पहचानना जरूरी
हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. साक्षी गुप्ता बताती हैं कि क्रोनिक वेनस इनसफीशिएंसी, सीवीआई के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ आम संकेत हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए. इनमें पैरों और टखनों में सूजन शामिल है. पैरों में दर्द, भारीपन या बेचैनी महसूस होना, खासकर चलने या खड़े होने पर भी इसका एक लक्षण है. स्किन में बदलाव जैसे रंग, मोटा होना या खुजली भी दिख सकती है. इसके अतिरिक्त, वैरिकाज नसें और टखनों के पास खुले घाव या अल्सर जो ठीक न हों, सीवीआई के मुख्य लक्षण हैं. ये लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.
सीवीआई के रिस्क फैक्टर्स और कारण
सीवीआई डेवलप होने के रिस्क को कई फैक्टर्स बढ़ा सकते हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है ताकि समय रहते सावधानी बरती जा सके. सीवीआई ओल्डर एडल्ट्स में ज्यादा कॉमन है; उम्र बढ़ने के साथ नसें और उनमें मौजूद वाल्व कमजोर होने लगते हैं, जिससे इसका खतरा बढ़ता है. इसके अतिरिक्त, सीवीआई का फैमिली हिस्ट्री भी एक महत्वपूर्ण जोखिम है, जो दर्शाता है कि जेनेटिक्स इसमें भूमिका निभा सकते हैं. मोटापा भी एक बड़ा कारण है, क्योंकि अधिक वन होने से पैरों की नसों पर एक्स्ट्रा प्रेशर पड़ता है. वहीं, लंबे समय तक खड़े रहना या बैठे रहना जैसी जीवनशैली भी सीवीआई का रिस्क बढ़ाती है. आखिर में, डीप वेन थ्रोम्बोसिस या पैरों में ब्लड क्लॉट की हिस्ट्री सीवीआई के डेवलपमेंट का एक बड़ा कारण है.
ऐसे करें सीवीआई का मैनेजमेंट
हालांकि सीवीआई लाइफ थ्रेटनिंग नहीं होता, लेकिन यह लाइफ की क्वॉलिटी को प्रभावित कर सकता है. इसकी मैनेजमेंट स्ट्रैटेजीज में कई ट्रिक्स शामिल हैं. पहला है लाइफस्टाइल चेंजेस. जैसे वेट कंट्रोल, रेगुलर एक्सरसाइज और लॉन्ग टाइम तक स्टैंडिंग या सिटिंग से बचना. इसके अलावा, कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स, जो ब्लड फ्लो में इम्प्रूवमेंट और स्वेलिंग कम करने में हेल्प करता है. सीवियर केसेस में मेडिसिन, लेजर ट्रीटमेंट या सर्जरी शामिल हो सकती है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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