सावन के महीने में पड़ने वाले मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत रखने का विधान है. खासकर यह व्रत सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं. आज मंगलवार 22 जुलाई को सुहागिनों ने सावन महीने का दूसरा मंगला गौरी व्रत रखा है.
धार्मिक दृष्टिकोण से इस दिन का महत्व काफी महत्वपूर्ण होता है. एक ओर सावन का महीना शिवजी को समर्पित है तो वहीं सावन का मंगलवार मां पार्वती (मां गौरी) की पूजा और व्रत के लिए. मंगला गौरी व्रत के दिन सुहागिनें व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करती हैं. लेकिन पूजा में मंगला गौरी व्रत कथा जरूर पढ़ें या सुनें, क्योंकि इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है.
मंगला गौरी व्रत कथा (Mangla Gauri Vrat Katha in Hindi)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक शहर में धर्मपाल नाम का व्यापारी रहता था. उसकी पत्नी रूपवती और गुणवती थी. ईश्वर की कृपा से दंपती के पास धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं थी. लेकिन उन्हें कोई संतान नहीं था, जिस कारण वे दुखी रहते थे. कुछ समय बाद उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई, लेकिन वह अल्पायु था. पुत्र को श्राप मिला था कि 16 वर्ष की आयु में सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी.
ऐसा संयोग बना कि, व्यापारी के अल्पायु पुत्र का विवाह 16 वर्ष से पूर्व हो गया. जिसके साथ उसका विवाह हुआ उसकी मां माता मंगला गौरी का व्रत किया करती थी. मंगला गौरी व्रत के परिणामस्वरुप उसने अपनी पुत्री के लिए एक ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया था, जिससे वह कभी विधवा नहीं हो सकती थी. इस कारण व्यापारी धर्मपाल के अल्पायु पुत्र की आयु 100 साल हो गई.
इसलिए सभी नवविवाहित और विवाहित महिलाएं मंगला गौरी का व्रत-पूजन करती है और सुखी व स्थायी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं. इसलिए विवाहित स्त्रियों का यह नियमपूर्वक यह व्रत जरूर करना चाहिए.
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